
नई दिल्ली -सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें मशीन चोरी के एक मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। खान और उनके बेटे ने हाईकोर्ट के 21 सितंबर के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
क्या है मामला?
बता दें, खान, उनके बेटे और पांच अन्य के खिलाफ 2022 में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। आरोप था कि उन्होंने सड़क साफ करने वाली मशीन चुरा ली थी, जिसे नगर पालिका परिषद, रामपुर जिले ने खरीदा था। यह भी आरोप लगाया गया कि यह मशीन बाद में खान के रामपुर स्थित जौहर विश्वविद्यालय से बरामद की गई थी। उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद वकार अली खान नामक व्यक्ति ने इस संबंध में 2022 में रामपुर के कोतवाली में सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 2014 में सड़क की सफाई करने वाली सरकारी मशीन चुरा ली थी।
यूपी के गाजियाबाद में प्रस्तावित ‘धर्म संसद’ के खिलाफ याचिका का सुप्रीम कोर्ट में जिक्र
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में ‘धर्म संसद’ के आयोजन पर रोक लगाने की मांग वाली एक याचिका का सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया। इसमें आरोप लगाया गया कि मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषण दिए गए थे।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण से कहा कि वे याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए एक ई-मेल दाखिल करें।
तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग करते हुए भूषण ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषण दिए जा रहे हैं और याचिका पर सुनवाई की जरूरत है क्योंकि ‘धर्म संसद’ मंगलवार से शुरू हो रही है। गाजियाबाद के डासना में शिव-शक्ति मंदिर परिसर में मंगलवार से शनिवार तक ‘धर्म संसद’ आयोजित करने का प्रस्ताव है।
उत्तराखंड के हरिद्वार में पहले आयोजित ‘धर्म संसद’ कथित नफरत भरे भाषणों के कारण विवादों में घिर गई थी। इस संबंध में यति नरसिंहानंद और अन्य सहित कई व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू किया गया था।
कार्यकर्ताओं और पूर्व नौकरशाहों ने गाजियाबाद जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है, जिसमें शीर्ष अदालत के आदेशों की जानबूझकर अवमानना करने का आरोप लगाया गया है, जिसके तहत अदालत ने सभी सक्षम और उपयुक्त अधिकारियों को सांप्रदायिक गतिविधियों और नफरत भरे भाषणों में लिप्त व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ताओं में कार्यकर्ता अरुणा रॉय, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अशोक कुमार शर्मा, पूर्व आईएफएस अधिकारी देब मुखर्जी और नवरेखा शर्मा और अन्य शामिल हैं।
उत्तराखंड के हरिद्वार में पहले आयोजित ‘धर्म संसद’ कथित नफरत भरे भाषणों के कारण विवादों में घिर गई थी। इस सिलसिले में यति नरसिंहानंद और अन्य सहित कई लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया गया था।