Friday, November 15, 2024
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MUDA Case: सीएम पद से इस्तीफा देंगे सिद्धारमैया? हाई कोर्ट से मिले झटके के बाद क्या है ऑप्शन

MUDA Case News: सीएम की डबल बेंच में अपील करने पर इस पिटीशन की सुनवाई पूरी होने तक निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाने की अपील की जा सकती है. डबल बेंच याचिका स्वीकार कर ले तो सीएम को राहत मिल जाएगी.


MUDA Case Latest News: कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच से मंगलवार (24 सितंबर 2024) को राहत न मिलने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अब कल यानी बुधवार (25 सितंबर 2024) को डबल बेंच के सामने अपील कर सकते हैं. सिद्धारमैया से जुड़े सूत्रों की मानें तो सीएम इसकी तैयारी कर रहे हैं.

कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने मंगलवार को उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी की वैधता को चुनौती दी थी. अदालत ने कहा कि राज्यपाल को व्यक्तिगत शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करने की अनुमति देने का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक नहीं देंगे इस्तीफा

सीएम के डबल बेंच में अपील करने पर इस पिटीशन की सुनवाई पूरी होने तक निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाने की अपील की जा सकती है. अगर डबल बेंच याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लेता है तो सिद्धारमैया को राहत मिल जाएगी. सीएम कैंप ने ये साफ कर दिया है कि अगर डबल बेंच से भी राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा और तब तक सिद्धरामैया इस्तीफा देने के मूड में नहीं हैं.

अपनी याचिका में सिद्धरामैया ने कहा था

यह भी कहा गया कि स्वीकृति का विवादित आदेश दुर्भावना से भरा है और राजनीतिक कारणों से कर्नाटक की निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के लिए एक संगठित प्रयास का हिस्सा है.

सिद्धरामैया ने 17 अगस्त को गवर्नर की ओर से जारी आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17A के तहत जांच की अनुमति और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 218 के अनुसार अभियोजन की स्वीकृति दी गई थी.

धारा 17A सार्वजनिक अधिकारियों की ओर से आधिकारिक कार्यों या कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए अनुशंसाओं या निर्णयों से संबंधित अपराधों की जांच के लिए है.

मुख्यमंत्री की याचिका में दावा किया गया था कि स्वीकृति का आदेश बिना उचित विवेचना के जारी किया गया, जो विधिक आवश्यकताओं का उल्लंघन करता है और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह भी शामिल है, जो बाध्यकारी है.

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