
ADB on India’s Economic Growth: अमेरिकी टैरिफ के असर से धीमी पड़ सकती है भारत की विकास रफ्तार
एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% तक के भारी टैरिफ का गहरा असर पड़ा है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 7.8% की प्रभावशाली वृद्धि के बावजूद, पूरे वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर घटकर लगभग 6.5% पर सिमट सकती है।
टैरिफ के कारण दूसरी तिमाही में मंदी की आशंका
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ के चलते दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो सकती है। ADB ने वित्त वर्ष 2026 और 2027 दोनों के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है।
सकारात्मक पहलू भी मौजूद
हालांकि, भारत की समग्र आर्थिक रफ्तार अब भी एशिया की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मजबूत बनी हुई है। ADB ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र की विकास दर को 0.1 से 0.2 प्रतिशत तक घटाया है, जिसका मुख्य कारण वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और अमेरिका की टैरिफ नीति है। भारत की तेज़ ग्रोथ का श्रेय मुख्यतः सरकारी निवेश, घरेलू मांग और मजबूत औद्योगिक उत्पादन को दिया गया है।
निर्माण और सेवा क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन
रिपोर्ट में मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के बेहतर प्रदर्शन का भी ज़िक्र किया गया है, जिनकी बदौलत खनन और यूटिलिटी सेक्टर में आई गिरावट की भरपाई हो सकी। इसके अलावा, भारत में सेवा क्षेत्र भी मजबूत बना हुआ है — खासकर यात्रा और मनोरंजन सेवाओं की मांग बढ़ने से सर्विस PMI को गति मिली है।
महंगाई पर राहत, लेकिन चुनौती बरकरार
ADB का कहना है कि खाद्य और ऊर्जा कीमतों में गिरावट के चलते इस वर्ष भारत की मुद्रास्फीति 1.7% तक सीमित रह सकती है, जबकि अगले वर्ष यह 2.1% तक बढ़ने का अनुमान है। अगस्त 2025 में खुदरा महंगाई (CPI) 2.07% रही, जो पिछले साल के 3.7% से काफी कम है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार तीसरे महीने गिरावट देखने को मिली है, जिसका मुख्य कारण सब्जियों, दालों और मसालों की कम कीमतें हैं।
वैश्विक माहौल से बढ़ी अनिश्चितता
ADB के चीफ इकोनॉमिस्ट अल्बर्ट पार्क के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ अब भी ऐतिहासिक रूप से ऊंचे स्तर पर स्थिर हैं और वैश्विक व्यापार का माहौल अनिश्चित बना हुआ है। उन्होंने कहा, “मजबूत निर्यात और घरेलू मांग के चलते इस साल विकासशील एशिया में अच्छी ग्रोथ देखी गई है, लेकिन बिगड़ते वैश्विक हालात भविष्य के लिए चिंता का कारण हैं। ऐसे में सरकारों के लिए मजबूत आर्थिक नीतियां, क्षेत्रीय सहयोग और खुले व्यापार को प्राथमिकता देना ज़रूरी है।”