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Sunday, November 16, 2025
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नींद की कमी: 6 घंटे से कम सोना पड़ सकता है भारी, बढ़ती दिक्कतों से पहले जानें जरूरी समाधान

Lack of Sleep:इंसान के लिए सोना, किसी सोने से कम नहीं है। क्योंकि इससे हमारा शरीर रिपेयर होता है और डेली रूटीन सही चलता है। अगर आप नींद सही से नहीं लेते हैं, तो इससे आपको दिक्कत हो सकती है।

Lack of Sleep Effects: आज की तेज रफ्तार वाली जिंदगी में, जहां थकान को हम उपलब्धि समझने लगे हैं और आराम को एक इनाम की तरह देखते हैं, बहुत से लोग यह मानकर चलते हैं कि 5 से 6 घंटे की नींद में भी काम चल जाता है. रात देर तक काम करना, सुबह कॉफी का सहारा लेना और दिनभर सुस्ती के साथ जैसे-तैसे खुद को खींचते रहना यह सब आम हो गया है. लेकिन यह आदत धीरे-धीरे शरीर पर भारी पड़ती है. नए शोध बता रहे हैं कि 6 घंटे से कम नींद लेना शरीर की कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को बिगाड़ सकता है चाहे वो दिमाग हो, दिल हो, मेटाबॉलिज्म या फिर इम्युनिटी. चलिए आपको बताते हैं कि इससे शरीर पर क्या असर होता है.

नींद की कमी आपके शरीर के साथ क्या करती है?

ज्यादातर स्टडी में वयस्कों के लिए रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूरी मानी गई है. लेकिन जब नींद लगातार छह घंटे से नीचे चली जाती है, तो असर सिर्फ थकान तक सीमित नहीं रहता, शरीर की कई सिस्टम गड़बड़ा जाती हैं.

मेटाबॉलिज्म, भूख और वजन पर असर

कम नींद से सबसे पहला झटका मेटाबॉलिज्म और भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स पर पड़ता है. कई स्टडीज में पाया गया है कि 5 से 6 घंटे नींद लेने वाले लोगों में प्री-डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज का खतरा दोगुना हो जाता है. इसके साथ ही ऐसे लोगों का BMI बढ़ता है और मोटापा जल्दी घेरता है. इसके कुछ कारण भी होते हैं, जैसे कि लेप्टिन (पेट भरने का संकेत देने वाला हार्मोन) कम हो जाता है. घ्रेलिन (भूख बढ़ाने वाला हार्मोन) बढ़ जाता है, शरीर लगातार स्ट्रेस मोड में रहता है. इससे खाने की इच्छा बढ़ती है और वजन तेजी से बढ़ सकता है.

दिमाग, सोचने की क्षमता और मूड पर असर

कम नींद सिर्फ शरीर पर नहीं, बल्कि दिमाग पर भी बड़ा प्रभाव डालती है. दिमाग में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं. याददाश्त, ध्यान और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, इसके चलते रिस्पॉन्स देने की गति कम हो जाती है. लंबे समय में इससे डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है. मूड पर इसका असर तुरंत दिखता है. चिड़चिड़ापन, घबराहट, चिंता और डिप्रेशन जैसे लक्षण अक्सर नींद की कमी वाले लोगों में पाए जाते हैं.

इम्युनिटी की कमी

नींद शरीर की मरम्मत, इंफेक्शन से लड़ने और सूजन को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाती है. छह घंटे से कम नींद लेने पर शरीर के सैकड़ों जीन प्रभावित होते दिखे हैं. खासकर वे जो इम्यून सिस्टम और स्ट्रेस कंट्रोल से जुड़े होते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि शरीर धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है, इंफेक्शन जल्दी पकड़ते हैं, रिकवरी धीमी हो जाती है. हार्मोन, ग्रोथ और टिश्यू रिपेयर पर असर पड़ता है. नींद के दौरान शरीर ग्रोथ हॉर्मोन रिलीज करता है, टिश्यू रिपेयर करता है और मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है.

मौत का खतरा

कई स्टडी में यह पाया गया है कि बहुत कम या बहुत ज्यादा नींद, दोनों ही स्थितियां समय से पहले मृत्यु का जोखिम बढ़ाती हैं. पांच घंटे या उससे कम सोने वालों में यह खतरा लगभग 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

इससे बचने के उपाय

नींद कोई विकल्प नहीं है. यह शरीर की बेसिक जरूरत है. अगर आप लगातार छह घंटे से कम सो रहे हैं, तो आपको लगता होगा कि आप मैनेज कर रहे हैं, लेकिन शरीर इसकी कीमत चुका रहा होता है. बेहतर नींद के लिए कुछ आसान कदम यह हैं कि रोज एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें, सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप और तेज रोशनी से दूरी रखें और कमरा ठंडा और अंधेरा रखना चाहिए.

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