पंजाब में पराली जलाने के 90 मामले सामने आए हैं, जिनमें 49 FIR दर्ज की गई हैं और 2,25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सरकार ने किसानों और ग्रामीणों को टिकाऊ कृषि के लिए जागरूक अभियान शुरू किया है.

पंजाब के खेत एक बार फिर से सुलगने लगे हैं। धान की पराली जलाने के 90 मामले पिछले कल तक सामने आए हैं, जिसमें 49 FIR दर्ज की गई हैं और 32 किसानों के रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है। अब तक 2,25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 1,75,000 रुपये वसूल किए जा चुके हैं।
अमृतसर जिले में सबसे ज्यादा 51 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं, जो पंजाब में पराली जलाने की गंभीरता को दर्शाते हैं। यह मामला दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से सीधे जुड़ा हुआ है।
सरकार द्वारा चलाया गया संदेश और जागरूकता अभियान।
पंजाब सरकार ने पराली जलाने के दुष्प्रभावों और फसल अवशेष प्रबंधन (क्रॉप रेसिड्यू मैनेजमेंट) के लाभों से लोगों को अवगत कराने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। इस पहल के तहत, नुक्कड़ नाटक, दीवार पर चित्रकारी और अन्य गतिविधियों को शामिल किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान किसानों और ग्रामीण समुदायों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को अपनाने पर केंद्रित है।
कृषि मंत्री का बयान और अभियान की रूपरेखा
कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने बताया कि राज्य सरकार ने पराली जलाने को लेकर बढ़ती चिंता को दूर करने के लिए एक महत्वाकांक्षी फसल अवशेष प्रबंधन IEC योजना का आरंभ किया है. अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना होता है. उन्होंने बताया कि कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच समय कम होने के कारण कुछ किसान जल्दी से फसल अवशेष साफ करने के लिए खेतों में आग लगा देते हैं.
बहुआयामी अभियान और ग्रामीण पहुंच
खुडियां ने बताया कि इस व्यापक IEC अभियान का उद्देश्य किसानों, छात्रों और समुदायों को पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं की ओर प्रेरित करना है. इस अभियान में अधिकतम प्रभाव और पहुंच के लिए 50 प्रचार वैन तैनात की जाएंगी, जो ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता संदेश प्रसारित करेंगी. पीटीआई के अनुसार, इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक माध्यम से संदेश संप्रेषित करने के लिए 444 नुक्कड़ नाटक आयोजित किए जाएंगे.