शेयर बाजार की खबर: एनएसई पर निफ्टी 50 में पिछले लगभग एक साल के दौरान तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। हालांकि, बीच-बीच में बढ़ोतरी भी देखी जा रही है, लेकिन निवेशकों का विश्वास पूरी तरह से हिला हुआ है।

Stock Market Falls: शेयर बाजार में पिछले चार दिनों से चली आ रही गिरावट के बाद पांचवें दिन गुरुवार को भी इस पर ब्रेक नहीं लग पाया. हफ्ते के चौथे कारोबारी दिन की शुरुआत में गिरावट के साथ हुई. हालांकि, कुछ देर बाद रिकवरी कर बाजार सेंसेक्स करीब 100 अंक ऊपर चढ़ा और निफ्टी भी 25100 पर कारोबार कर रहा था.
लेकिन फिर दोपहर करीब एक बजे बीएसई पर 30 अंकों वाले सेंसेक्स में 254 अंक तक की टूट देखी गई जबकि एनएसई पर निफ्टी 50 भी 25000 के आसपास आ गया.
एक दिन पहले भी बुधवार को सेंसेक्स 386 अंक लुढ़ककर 81,716 पर बंद हुआ तो वहीं निफ्टी भी 113 अंक गिरकर 25057 पर बंद हुआ. अगर नुकसान की बात करें तो अब तक निवेशकों का काफी पैसा डूब चुका है. बीएसई का 18 सितंबर को मार्केट कैप 4,65,73,486.22 करोड़ था. लेकिन यह घटकर 24 सितंबर को 4,60,56,946.88 करोड़ रुपये पर आ गया. यानी निवेशकों के पिछले चार दिनों में ही 5,16,539.34 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
गिरावट के प्रमुख कारण
1. मुनाफावसूली
भारतीय बाजार में अमेरिकन उच्च टैरिफ के कारण निर्यात प्रभावित हुआ है, जबकि एच1बी वीजा की फीस में वृद्धि ने निवेशकों में संदेह उत्पन्न किया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में भी कठोर गिरावट देखी जा रही है। इस कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से धन निकालकर लाभ प्राप्त कर रहे हैं। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 3,551.19 करोड़ रुपये की मूल्यवान शेयरों का बिक्री की। इसके चलते भारतीय शेयर बाजार में भारी दबाव देखा जा रहा है।
2. निफ्टी का बुरा हाल
एनएसई पर निफ्टी 50 में पिछले लगभग एक साल के दौरान तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई है। हालांकि, कुछ बढ़त भी आई है, लेकिन निवेशकों का विश्वास पूरी तरह से हिल गया है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, भारतीय बाजार में इस समय निवेशक अतिरिक्त पैसे लगाने से बच रहे हैं और सतर्कता की स्थिति में हैं.
3. एच1बी वीजा फीस बढ़ोतरी का असर
विनोद, जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड, कहते हैं कि GST सुधार के बाद भारतीय घरेलू बाजारों में काफी अच्छा मुनाफावसूली देखी गई है. निवेशक अब मूल्यांकन और दूसरी तिमाही की आय की उम्मीदों को फिर से निर्धारित कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त, IT स्टॉक्स का प्रदर्शन ख़राब रहा है वजह से H1B शुल्क वृद्धि के कारण, जबकि अमेरिकी व्यापार संबंधित बयान और कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण निवेशक सतर्क रह रहे हैं.
4. निचले स्तर पर रुपया
हाल के समय में भारतीय रुपये में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिल रही है। डॉलर की तुलना में रुपया करीब 89 के स्तर को जल्द छूने जा रहा है और यह 88.75 तक पहुंच चुका है। चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय करेंसी में अमेरिकी डॉलर की तुलना में करीब 5 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है। इस परिस्थिति में रुपये का सीधा असर शेयर बाजार पर भी दिख रहा है।
5. क्रूड ऑयल के बढ़ते दाम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल में तेजी देखी जा रही है. इसकी बड़ी वजह मिडिल ईस्ट में तनाव को माना जा रहा है. ब्रेंट क्रूड फिर करीब 70 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच चुका है जबकि कुछ हफ्ते पहले ही इसके दाम 66 डॉलर प्रति बैरल के भी नीचे थे.