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Tuesday, October 14, 2025
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वक्फ संशोधन अधिनियम: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है – ‘वक्फ करने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करना अनिवार्य नहीं है।’

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड्स में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या को सीमित करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने यह बताया कि राज्य और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों की संख्या तीन से अधिक नहीं हो सकती।

वक्फ संशोधन कानून मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में वक्फ करने के लिए पांच साल इस्लाम का पालन करने की शर्त पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि कुछ सेक्शन को लेकर अधिक विवाद है. हमने पुराने एक्ट्स को भी देखा है. कोर्ट ने कहा पूरे कानून को स्टे करने का कोई आधार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कलेक्टर वक्फ भूमि विवाद का निपटारा नहीं कर सकते, इस मामले को ट्रिब्यूनल को सौंपना चाहिए। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या को सीमित करने की भी बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिमों की संख्या को तीन से अधिक नहीं होने देने का निर्णय किया है। हमने प्रत्येक धारा के लिए पहली बार चुनौती पर विचार किया है और पाया है कि पूरे कानून के प्रावधानों का पालन किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने उक्त कहा है कि वक्फ संशोधन अधिनियम पर प्रतिबंध सिर्फ केवल विशेष और अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही लागू किया जा सकता है। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के एक प्रावधान पर भी रोक लगा दी है, जिसके अंतर्गत वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति को पांच साल तक इस्लाम का अनुयायी होना आवश्यक था। कोर्ट ने यह उद्देश्य साधा है कि यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा, जब तक यह स्पष्ट नहीं हो जाता कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं। कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के सभी प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार किया है, हालांकि, उन्होंने कहा है कि कुछ विशेष धाराओं को संरक्षित रखने की आवश्यकता है।

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