विकास यादव ने अदालत से एक अपहरण और फिरौती के मामले में शारीरिक उपस्थिति से छूट देने की अपील की, जिसमें वह आरोपी हैं. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिसंबर 2023 में उन्हें गिरफ्तार किया था.
भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व अधिकारी विकास यादव ने शनिवार (16 नवंबर 2024) को दिल्ली की एक अदालत में कहा कि उन्हें खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश में अमेरिकी आरोपों का सामना करने के बाद जान के खतरे का सामना करना पड़ रहा है.
विकास ने अदालत से एक अपहरण और फिरौती के मामले में शारीरिक उपस्थिति से छूट देने की अपील की, जिसमें वह आरोपी हैं. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिसंबर 2023 में उन्हें गिरफ्तार किया था, लेकिन इस साल की शुरुआत में उन्हें जमानत मिल गई थी. विकास यादव की पैरवी कर रहे वकील आरके हैंडू और आदित्य चौधरी ने कहा कि उनके खिलाफ “झूठे और तुच्छ आरोप” लगाए गए हैं और उनकी निजी जानकारी को व्यापक तौर से सार्वजनिक कर दिया गया है, जिससे उन्हें “गंभीर खतरों” का सामना करना पड़ रहा है.
जीवन पर खतरे का दावा
विकास यादव की याचिका में कहा गया कि “आवेदक के व्यक्तिगत ब्यौरा जैसे उनका आवास, पृष्ठभूमि और उनकी तस्वीरें पूरी में छपी हुई हैं.” याचिका में आगे कहा गया कि वह “दुश्मन तत्वों” की ओर से लगातार निगरानी के शिकार हो रहे हैं. इसके अलावा कहा गया कि विकास यादव के ‘दुश्मन’ उन्हें हर जगह पर ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए उन्हें एकांत में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
अदालत से सुरक्षा की गुहार
विकास यादव की याचिका में यह भी कहा गया कि उनकी जिंदगी खतरे में है और अदालत में उनकी शारीरिक उपस्थिति इस खतरे को और बढ़ा सकती है. यादव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थिति देने का भी विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि तकनीकी माध्यम से उनके लोकेशन का पता लगाया जा सकता है. अदालत ने उन्हें 18 नवंबर और अगले सुनवाई के लिए शारीरिक उपस्थिति से छूट दे दी है. मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी 2025 को निर्धारित की गई है.
अमेरिकी आरोपों से इनकार
इस साल के अक्टूबर में अमेरिका ने विकास यादव के खिलाफ आरोप लगाए थे, जिसमें उन्हें खालिस्तानी अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में सह-साजिशकर्ता बताया गया था. इस मामले में एक और भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पहले ही आरोपित हैं. आरोपों के अनुसार, विकास यादव और निखिल गुप्ता ने हत्या को अंजाम देने के लिए किसी को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर में काम पर रखा था, लेकिन बाद में पता चला कि वह व्यक्ति दरअसल एफबीआई का अंडरकवर एजेंट था. विकास यादव ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें एक बलि का बकरा बनाया गया है.