
Gen Z Workplace Challenges: नई स्टडी में सामने आया है कि तकनीक में सबसे आगे रहने के बावजूद कंपनियां सबसे ज्यादा और सबसे जल्दी नौकरी से Gen Z कर्मचारियों को हटा रही हैं। 1997 से 2012 के बीच जन्मी यह पीढ़ी डिजिटल नेटिव मानी जाती है, लेकिन इसके बावजूद कॉर्पोरेट दुनिया में इन्हें लेकर कई तरह की चिंताएँ बढ़ रही हैं। एक हालिया स्टडी के अनुसार, Gen Z को लेकर हायरिंग मैनेजर्स की राय चौंकाने वाली है—60% मैनेजर्स ने माना कि उन्होंने Gen Z कर्मचारियों को अपेक्षाकृत जल्दी नौकरी से निकाल दिया, जबकि हर 6 में से 1 मैनेजर ने साफ कहा कि वह Gen Z को नौकरी पर रखना ही नहीं चाहता।
सर्वे में सामने आया कि Gen Z कर्मचारियों की सबसे बड़ी कमजोरी कम्युनिकेशन और प्रोफेशनलिज्म है। कई मैनेजर्स के अनुसार, यह पीढ़ी साफ और प्रोफेशनल ढंग से बातचीत नहीं कर पाती, समय पर फीडबैक देने में भी पीछे रहती है और टीमवर्क में बाधा उत्पन्न करती है। वहीं 20% मैनेजर्स ने माना कि Gen Z कर्मचारियों में काम के प्रति उत्साह कम होता है और इन्हें कई बार काम शुरू करने के लिए याद दिलाना पड़ता है।
लगभग 46% मैनेजर्स का कहना है कि Gen Z में समय पर काम पूरा न करना, ऑफिस कल्चर को अपनाने में परेशानी, जिम्मेदारी से बचना और बार-बार छुट्टियाँ लेना जैसी समस्याएँ ज्यादा देखी जाती हैं। डिजिटल रूप से मजबूत होने के बावजूद कई Gen Z युवाओं को नई चीजें सीखने में कठिनाई होती है। 500 से अधिक मैनेजर्स ने स्वीकार किया कि यह पीढ़ी बदलावों के अनुरूप तेजी से खुद को ढाल नहीं पाती।
इससे पहले ResumeBuilder.com की रिपोर्ट में भी यही पैटर्न सामने आया था, जिसमें 74% मैनेजर्स ने Gen Z के साथ काम करना चुनौतीपूर्ण बताया था। कुल मिलाकर, नई रिपोर्ट्स ने कंपनियों में Gen Z के भविष्य को लेकर चिंता और बढ़ा दी है।

