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Monday, October 13, 2025
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शिव का गोपेश्वर रूप और शरद पूर्णिमा का संबंध, जानिए क्यों होती है खास पूजा

गोपेश्वर महादेव पूजा विधि: भगवान शिव के कई रूपों में एक खास रूप है ‘गोपेश्वर’, जिसका गहरा संबंध श्रीकृष्ण की रास लीला से जुड़ा है। यह रूप भागवत और अन्य पुराणों में भी वर्णित है। मथुरा के बनखंडी क्षेत्र में स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर इसी रहस्यमयी रूप के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव सुबह नर रूप और शाम को नारी रूप में दर्शन देते हैं।

कहानी के अनुसार, द्वापर युग में श्रीकृष्ण शरद पूर्णिमा की रात्रि को 16,108 गोपियों के साथ महारास कर रहे थे। यह रासलीला एक रात की थी, लेकिन योगमाया के कारण सूर्योदय नहीं हुआ और यह छह महीनों तक चली। देवताओं सहित सभी इस अद्भुत नृत्य के साक्षी बने। शिव भी इस महारास में शामिल होना चाहते थे, लेकिन गोपियों ने पुरुषों का प्रवेश मना कर दिया। तब शिव योगमाया की शक्ति से गोपी के रूप में बदल गए और महारास में भाग लिए।

शिव का यह गोपी रूप श्रीकृष्ण ने पहचान लिया और उन्हें ‘गोपेश्वर’ नाम दिया। श्रीकृष्ण ने गोपेश्वर रूप में शिव से ब्रज में रहने का आग्रह किया। तब से इस रूप में शिव की पूजा मथुरा के गोपेश्वर महादेव मंदिर में की जाती है, जहां उन्हें महिला रूप में श्रृंगारित कर भक्तों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।

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