
नवरात्रि के बीच मासिक धर्म शुरू होने पर पूजा करें या न करें? जानिए शास्त्रों की बात
नवरात्रि का पवित्र पर्व नौ दिन तक चलता है, जो इस बार 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखते हैं, कलश स्थापना करते हैं, अखंड दीप जलाते हैं और सुबह-शाम पूजा अर्चना करते हैं। यह त्योहार महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन महिलाओं में इसका खास उत्साह देखा जाता है।
कई बार नवरात्रि के बीच में किसी महिला के मासिक धर्म शुरू हो जाने पर यह सवाल उठता है कि क्या वे व्रत और पूजा जारी रखें या नहीं। शास्त्रों में इस विषय को लेकर विशेष नियम और निर्देश बताए गए हैं, जो इस दुविधा को समझने में मदद करते हैं।
नवरात्रि के दौरान पीरियड्स आने पर मन में उठती दुविधाएं और शास्त्रों की सलाह
नवरात्रि के ये नौ पवित्र दिन भक्ति और व्रत के लिए समर्पित होते हैं, लेकिन अगर बीच में मासिक धर्म शुरू हो जाए तो कई महिलाओं के मन में उलझन हो जाती है। उन्हें लगता है कि अब उनका पूरा व्रत और पूजा-पाठ अधूरा रह जाएगा या फिर पीरियड्स के साथ संकल्प कैसे पूरा किया जाए।
अगर आप भी इस स्थिति से गुजर रही हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं। शास्त्रों में इस विषय पर भी विशेष नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करके आप अपनी भक्ति को पूरा कर सकती हैं और पूजा का पूर्ण फल पा सकती हैं।
आधुनिक और पारंपरिक दृष्टिकोण
परंपरागत तौर पर, मासिक धर्म को अशुद्ध माना जाता है और इस दौरान पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठानों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। कई लोग आज भी इस प्रथा का पालन करते हैं।
लेकिन आधुनिक युग में बहुत से लोग मासिक धर्म को एक प्राकृतिक प्रक्रिया मानते हैं और पूजा-पाठ को श्रद्धा और भावना से जोड़ते हैं, न कि शारीरिक स्थिति से।
अब सवाल यह है कि शास्त्र क्या कहते हैं? आइए जानते हैं।
शास्त्रीय दृष्टि क्या कहती है?
गरुड़ पुराण और याज्ञवल्क्य स्मृति जैसे शास्त्रों में बताया गया है कि मासिक धर्म के दौरान महिला को विश्राम करना चाहिए और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लेना चाहिए।
मंदिर या यज्ञ जैसे धार्मिक कार्यों में हवन करना, मूर्ति का स्पर्श करना या पूजा सामग्री चढ़ाना इस दौरान वर्जित माना गया है।
लेकिन यह भी स्पष्ट है कि मासिक धर्म के दौरान महिला मन से देवी-देवताओं का स्मरण कर सकती है। मानसिक जप, ध्यान, प्रार्थना और स्तोत्र-पाठ शास्त्रों में निषिद्ध नहीं हैं।
क्या करें और क्या न करें
मासिक धर्म का चक्र सामान्यतः 22 से 28 दिनों का होता है। यदि आपको पहले से पता हो कि नवरात्रि के बीच मासिक धर्म आएगा, तो आप पूरे नौ दिन व्रत रखने के बजाय खास दिन जैसे पहला दिन, अष्टमी, नवमी या अंतिम दिन का व्रत रख सकती हैं।
मासिक धर्म आने पर नौ दिन का व्रत छोड़ने की बजाय आप फलाहार लेकर उपवास को पूरा कर सकती हैं और मानसिक भक्ति कर सकती हैं। स्वच्छता का ध्यान रखते हुए मानसिक जाप, आरती सुनना आदि भी कर सकती हैं, जिससे कोई दोष नहीं होता।
कई महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दर्द, थकान और कमजोरी होती है। ऐसी स्थिति में शरीर पर दबाव डालकर व्रत या कठिन साधना करने की बजाय आराम करें और केवल मानसिक रूप से माता रानी का स्मरण करें।
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Disclaimer:
यह जानकारी केवल सामान्य मान्यताओं और शास्त्रीय जानकारियों पर आधारित है। ABPLive.com किसी भी मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता। किसी भी धार्मिक या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय से पहले विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।