प्रवेशी निवेश: भारत में एफडीआई सबसे ज्यादा सिंगापुर से आता है, इसके बाद नीदरलैंड्स, मॉरिशस, यूएस और यूएई हैं। इन देशों से कुल एफडीआई का लगभग तीन चौथाई हिस्सा भारत आता है.

FDI In India: यह खबर भारतीय इकोनॉमी के लिहाज से सुकून देने वाली है, जब चार वर्षों में पहली बार देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश यानी एफडीआई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने भारत की रेटिंग को अपग्रेड किया था. इसके साथ ही, सरकार ने इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इस बीच आरबीआई की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के महीने में देश में औसत एफडीआई चार साल में पहली बार बढ़कर 11.11 बिलियन डॉलर हो गया है.
एफडीआई का रिकॉर्ड स्तर
जुलाई 2021 में आए औसत 12.32 बिलियन डॉलर एफडीआई के बाद अब तक का सबसे ज्यादा है। एक महीने पहले जून में जहां एफडीआई 9.57 बिलियन डॉलर था तो वहीं 2024 के जुलाई में एफडीआई का यह आंकड़ा 5.54 बिलियन डॉलर था, जो इस साल के जुलाई के मुकाबले करीब आधा ही था। एफडीआई सबसे ज्यादा सिंगापुर से आता है, इसके बाद नीदरलैंड्स, मॉरिशस, यूएस और यूएई का स्थान है। इन देशों से कुल एफडीआई का करीब तीन चौथाई हिस्सा भारत आता है। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर, जिनमें कम्युनिकेशंस, कम्प्यूटर और बिजनेस सर्विसेज शामिल हैं, में सबसे ज्यादा एफडीआई आ रहा है।
एफडीआई का महत्व
एफडीआई का महत्व इस दिशा में है कि देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को दर्शाने और विदेशी निवेशकों के आत्मविश्वास को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण चिन्ह है. पिछले महीने, एसएंडपी ने भारत की रेटिंग को बीबीबी- से बीबीबी कर दिया था. इसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई आर्थिक सुधार किए. इनमें से एक औसत एफडीआई के वृद्धि का ऐलान था, जिसे सोमवार को प्रभावी किया गया है.
आगामी वित्त वर्षों में वैश्विक व्यापार, नीति और वित्तीय बाजार में अनिश्चितताओं के बावजूद, एफडीआई का आंकड़ा बढ़ता रहा है. पिछले चार महीनों में, नेट एफडीआई तीन गुणा ज्यादा हो गया है जिससे एक साल पहले की समयावधि में 10.75 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. साथ ही, भारतीय कंपनियों का विदेशों में प्रत्यक्ष निवेश भी 44 प्रतिशत बढ़कर 10.67 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है.