Thursday, August 7, 2025
spot_img

Latest Posts

डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकती हैं ये 5 आदतें, डॉक्टरों ने बताए बचाव के आसान उपाय

डिमेंशिया के कारण याददाश्त, सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। सही जीवनशैली और समय पर पहचान से इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

DementiaPrevention: डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जो आपके दिमाग के सोचने, समझने और याददाश्त की ताकत को धीरे-धीरे कमजोर कर देती है. यह सिर्फ मामूली भूलने की आदत नहीं होती, बल्कि यह इतनी ज्यादा गंभीर है कि इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में रुकावट बन सकती है. डिमेंशिया से पीड़ित लोगों को नाम याद रखने, बातचीत करने और दिन-तारीख याद रखने में दिक्कत होती है. जैसे-जैसे समय बीतता है, उन्हें चीजों की योजना बनाने, सही फैसले लेने और अपने करीबी लोगों या जगहों को पहचानने में भी मुश्किल हो सकती है. डिमेंशिया कई तरह का हो सकता है, जिनमें सबसे आम अल्जाइमर रोग है. इसके अलावा वैस्कुलर डिमेंशिया, लेवी बॉडी डिमेंशिया और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया भी बेहद खतरनाक होते हैं. भले ही इनके नाम अलग हों, लेकिन इनके लक्षण अक्सर मिलते-जुलते होते हैं. इनमेंं भ्रम, मूड बदलना या बोलने में परेशानी होना आदि शामिल हैं.

इन व्यक्तियों को ज्यादा समस्याएं आती हैं। यह रोग आमतौर पर बुजुर्गों को प्रभावित करता है, लेकिन यह बढ़ती उम्र का स्वाभाविक हिस्सा नहीं है. कुछ लोगों को 40 या 50 की उम्र में भी डिमेंशिया हो सकता है. हालांकि ऐसा कम ही होता है. पारिवारिक हिस्ट्री, हाई ब्लड प्रेशर, डायबटीज और काम शारीरिक और मानसिक सक्रियता इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं.
न्यूरोसर्जन डॉ. जायद अलमादीदी ने एक वीडियो के जरिए बताया कि डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से कैसे बचा जा सकता हैं. लोग अक्सर उनसे पूछते हैं कि क्या मैं अल्जाइमर से बच सकता हूं? इस पर उन्होंने सीडीसी द्वारा बताए गए पांच कारणों पर चर्चा की, जिनकी वजह से अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है. चलिए जानते हैं 5 अहम खतरे, जिनसे डिमेंशिया बढ़ सकता है.

1. फिजिकल एक्टिविटीज में कमी

सबसे पहले चर्चा करते हैं व्यायाम की महत्वता की. यदि आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं तो इसका असर हमारे दिल या पेट पर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी होता है. व्यायाम करने से दिमाग में खून का संचार बढ़ता है, जिससे स्मृति तेज होती है और दिमाग की सूजन कम होती है. वहीं, जो लोग ज्यादातर समय बैठे रहते हैं या एक्टिव नहीं रहते, उन्हें दिमागी ताकत में कमी का खतरा बढ़ जाता है. इस समस्या का समाधान यह नहीं है कि आप जिम जाएं या लंबी दौड़ लगाएं. ठीक वैसे ही, हफ्ते में कुछ दिन हल्का-फुल्का व्यायाम जैसे टहलना, तैरना, डांस या योग करना भी फायदेमंद हो सकता है.

2. डायबिटीज भी एक खतरा है।

यदि आपका शुगर लेवल निरंतर ऊपर-नीचे होता रहता है और आप इसे नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका आपके दिमाग पर भी असर पड़ सकता है. यदि ब्लड शुगर लंबे समय तक उच्च है, तो इससे आपके दिमाग की नसों में क्षति हो सकती है. यह आपकी याददाश्त को कमजोर कर सकता है और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए समय पर दवाइयां लें और स्वस्थ आहार लें। साथ ही, नियमित अंगीकारी जांच करवाएं ताकि आप अपने दिमाग को इन खतरों से बचा सकें। 

3. हाई ब्लड प्रेशर

हमारे दिमाग को स्पंज के रूप में समझा जा सकता है, जिसके लिए लगातार खून की जरूरत होती है ताकि वह बेहतरीन ढंग से काम कर सके। जब ब्लड प्रेशर ऊंचा हो जाता है, तो यह रक्त फ्लो में असंतुलन पैदा हो जाता है, जिससे स्ट्रोक, भूलने की बीमारी और वैस्कुलर डिमेंशिया जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। एक समस्या यह है कि उच्च ब्लड प्रेशर अक्सर किसी लक्षण के साथ नहीं आता, इसलिए नियमित अंतराल पर इसकी जांच कराना आवश्यक है। स्वस्थ आहार, रोजाना थोड़ी चलने-फिरने और आवश्यकता पर दवाइयाँ लेकर इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।

4. बहरापन 

बहुत सारे लोगों के मन में यह धारणा होती है कि बहरापन सिर्फ कानों की समस्या है, लेकिन इसका असर दिमाग पर भी हो सकता है। जब हमें सही से सुनाई नहीं दे रहा होता है, तो हमारा दिमाग आवाजों को समझने के लिए अधिक प्रयास करता है, जिससे कि उसकी अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में क्षमता कम हो जाती है। यहाँ याददाश्त और विचारने की शक्ति जैसी चीजें शामिल हैं। सुनाई न देने की समस्या वास्तविकता से अलग कर देती है, लोगों को समाज से अलग कर देती है और यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। इस प्रकार, डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।

5. तंबाकू और शराब का सेवन

धूम्रपान और अत्यधिक शराब पीना, ये दोनों ही आपके मस्तिष्क के शत्रु हैं। सिगरेट पीने से मस्तिष्क में खून और ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे उसकी कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है। वहीं, अगर आप लगातार काफी अधिक शराब पीते हैं तो इससे दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ सकती हैं। अगर पहले से कोई बीमारी हो तो हल्की शराब भी नुकसान पहुंचा सकती है। अगर आप दिमाग और शरीर दोनों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो धूम्रपान और शराब से दूर रहें।

कैसे कराएं डिमेंशिया का इलाज? 

डिमेंशिया का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, लेकिन अगर इसकी पहचान सही समय पर हो जाए और सही देखभाल मिले तो इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है. दवाओं, थेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसके लक्षणों को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि शारीरिक रूप से एक्टिव रहें, दिमाग को बिजी रखें और सामाजिक तौर पर दूसरों से जुड़े रहें, इससे डिमेंशिया से निपटना थोड़ा आसान हो सकता है.

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.