
2026 की शुरुआत में ही एक खास खगोलीय संयोग देखने को मिलेगा। आने वाला साल 12 नहीं बल्कि 13 महीनों का होगा, क्योंकि 2026 में अधिक मास पड़ रहा है। विक्रम संवत 2083 में यह अधिमास 17 मई से शुरू होकर 15 जून 2026 तक चलेगा। यह अधिमास ज्येष्ठ माह में आएगा और जप-तप, दान तथा विष्णु भगवान की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
अधिक मास क्यों लगता है?
हिन्दी पंचांग सूर्य और चंद्र की गति पर आधारित है। सौर और चंद्र मासों के बीच हर तीन साल में लगभग एक महीने का अंतर बन जाता है। इस अंतर को संतुलित करने के लिए ऋषि-मुनियों ने अधिक मास की व्यवस्था की, ताकि पंचांग और ऋतुओं का तालमेल बिगड़े नहीं। अधिक मास आने वाले वर्ष में कुल महीनों की संख्या 13 हो जाती है।
अधिक मास का महत्व
अधिक मास से पंचांग और मौसम चक्र का संतुलन बना रहता है। यदि यह व्यवस्था न हो, तो त्योहार और ऋतुएँ पूरी तरह गड़बड़ा सकती हैं—जैसे सावन ठंड में, या होली बारिश में पड़ सकती है।
कौन से काम नहीं किए जाते?
अधिक मास को मलमास भी कहा जाता है और इसमें विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत, नामकरण, संपत्ति खरीद और नए कार्यों की शुरुआत जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।

