WiFi Router: हाल के दिनों में TP-Link राउटर को लेकर खूब चर्चा हो रही है. यह ब्रांड भारत में बेहद लोकप्रिय है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

हाल के दिनों में TP-Link राउटर को लेकर खूब चर्चा हो रही है. यह ब्रांड भारत में बेहद लोकप्रिय है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. अमेरिका में तो यह तक दावा किया जाने लगा कि चीनी कंपनियों के राउटर से वहां के नागरिकों की जासूसी हो सकती है. हालांकि, इन आरोपों की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है फिर भी इस बहस ने दुनिया भर के यूज़र्स की चिंता बढ़ा दी है. भारत में भी बड़ी संख्या में लोग यही राउटर इस्तेमाल करते हैं ऐसे में यह स्वाभाविक है कि लोग अपनी डिजिटल प्राइवेसी को लेकर सतर्क होना चाहें.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि TP-Link राउटर का इस्तेमाल पूरी तरह बंद करने की जरूरत नहीं है लेकिन इसे सावधानी के साथ यूज़ करना बेहद जरूरी है. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों, पेन-टेस्टर्स और प्राइवेसी रिसर्चर्स का मानना है कि ज्यादातर खतरे लापरवाही से पैदा होते हैं न कि डिवाइस से. इसलिए राउटर को सुरक्षित रखने के लिए कुछ बुनियादी कदम उठाना बेहद महत्वपूर्ण है.

सबसे पहली और जरूरी बात राउटर को नियमित रूप से अपडेट करना है. कई बार निर्माता कंपनी सुरक्षा से जुड़े पैच जारी करती है जिन्हें नजरअंदाज कर देना सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है. इसके साथ ही नेटवर्क को अलग-अलग रखना भी बेहतर तरीका माना जाता है. एक नेटवर्क को अपने लैपटॉप, फोन और ज़रूरी डिवाइस के लिए रखें, जबकि IoT डिवाइस जैसे स्मार्ट बल्ब, कैमरा या फ्रिज—को अलग नेटवर्क में जोड़ें. इससे यदि किसी स्मार्ट डिवाइस में सुरक्षा खामी हो भी तो वह आपके मुख्य डिवाइस तक नहीं पहुंचेगी.

राउटर की सुरक्षा का असली आधार पासवर्ड है. डिफॉल्ट पासवर्ड कभी न इस्तेमाल करें, बल्कि एडमिन पैनल में जाकर एक नया, लंबा और मजबूत पासवर्ड बनाएं. इसके साथ ही Wi-Fi को WPA2 या WPA3 सुरक्षा में सेट करना और WPS जैसे फीचर्स को बंद रखना भी जरूरी माना जाता है. रिमोट मैनेजमेंट की जरूरत न हो तो उसे भी ऑफ कर देना सुरक्षित रहता है.

आईओटी डिवाइस के लिए क्लाइंट आइसोलेशन ऑन कर देने से वे आपस में कनेक्ट नहीं हो पाएंगे और नेटवर्क सुरक्षा और मजबूत हो जाएगी. इसके अलावा, राउटर का UPnP फीचर बंद कर देने से बिना अनुमति के अपने-आप पोर्ट खुलने की संभावना भी खत्म हो जाती है. हर महीने एक बार अपडेट चेक करना, DNS-over-HTTPS ऑन करना और कनेक्टेड डिवाइस की लिस्ट समय-समय पर देखना सुरक्षा को और बेहतर बनाता है.

सिर्फ कुछ मिनट की सावधानी आपके पूरे घर के नेटवर्क को सुरक्षित बना सकती है. इसलिए राउटर चाहे किसी भी कंपनी का हो सही सेटिंग्स और समय-समय पर किए गए छोटे बदलाव आपकी प्राइवेसी की सबसे मजबूत ढाल साबित होते हैं.

