
Margashirsha Maas 2025:
मार्गशीर्ष या अगहन अमावस्या इस साल 19 और 20 नवंबर को पड़ रही है। तिथियों की घट-बढ़ के कारण अमावस्या दो दिनों तक रहेगी। हिंदू धर्म में यह महीना अत्यंत पवित्र माना जाता है। श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में कहा है— “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” — अर्थात मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूँ। इसी कारण इस अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है।
मार्गशीर्ष मास का महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण का प्रतिनिधि महीना माना जाता है। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने, व्रत रखने और मथुरा-वृंदावन जैसे तीर्थों की यात्रा करने का बड़ा महत्व है। इस अमावस्या पर कृष्ण पूजा के साथ पितरों के लिए धूप, ध्यान और तर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है।
अगहन अमावस्या क्यों महत्वपूर्ण?
ज्योतिषाचार्य व्यास के अनुसार अगहन अमावस्या का महत्व दीपावली की कार्तिक अमावस्या के समान है। मान्यता है कि इस दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं। श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितरों को शांति मिलती है और जातक को पितृदोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
जो लोग नदी स्नान के लिए नहीं जा सकते, वे घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं—यह भी तीर्थस्नान जैसा फल देता है। स्नान के बाद इष्टदेव की पूजा, मंत्रजप और दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
चंद्रमा और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा
डॉ. व्यास बताते हैं कि इस दिन कृष्ण पूजा के साथ चंद्रदेव की उपासना भी आवश्यक है। शिवलिंग पर विराजित चंद्रदेव का जलाभिषेक करने से चंद्र दोष के प्रभाव कम होते हैं। इसके अलावा महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है।
सुबह की दिनचर्या और दान-पुण्य
अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। पितरों की कृपा के लिए गाय, कुत्ते, कौवे और देवताओं के लिए भोजन निकालना शुभ है।
दान में अन्न, वस्त्र, कंबल, घी, गुड़, तिल, तिल के लड्डू या धन देना विशेष पुण्यदायी माना जाता है।
पीपल पूजा का महत्व
पीपल के वृक्ष में पितर और भगवान विष्णु का वास माना जाता है। अगहन अमावस्या पर पीपल पर कच्चा दूध और जल चढ़ाएं तथा शाम को तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाकर परिक्रमा करें।
अमावस्या तिथि
अमावस्या 19 नवंबर सुबह 09:43 बजे शुरू होगी और 20 नवंबर दोपहर 12:16 बजे समाप्त होगी।
— उदयातिथि मानने वाले 20 नवंबर को स्नान-दान कर सकते हैं।
— पितृ कर्म (श्राद्ध, तर्पण) 19 नवंबर की दोपहर में किए जा सकते हैं।
भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कृपा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस अमावस्या पर विष्णु या सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से अक्षय फल मिलता है और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
स्नान और दान का विशेष महत्व
गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी नदियों में स्नान अत्यंत शुभ है। यदि यह संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद अन्न, वस्त्र, तिल, धन और जरूरतमंदों को उपहार देने से सभी पापों का नाश होता है। गौशाला में दान करना, गाय को हरी घास खिलाना और तालाब में मछलियों को आटे की गोलियाँ डालना भी शुभ माना गया है।

