
बच्चों की सेहत की नींव बचपन में ही पड़ती है। अगर शुरुआती सालों में खान-पान पर ध्यान न दिया जाए, तो आगे चलकर इसका असर जीवनभर दिख सकता है। खासकर चीनी (Sugar) का अधिक सेवन बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। यूके में हुई एक हालिया स्टडी के अनुसार, अगर गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के शुरुआती तीन सालों तक चीनी का सेवन सीमित रखा जाए, तो यह भविष्य में हृदय रोगों के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।
रिसर्च में यह पाया गया कि 1950 के दशक में ब्रिटेन में चीनी राशनिंग के दौरान पैदा हुए बच्चों की हृदय स्वास्थ्य स्थिति बेहतर रही। उस समय गर्भवती महिलाओं को रोज़ाना लगभग 40 ग्राम से कम चीनी मिलती थी, जबकि दो साल से कम उम्र के बच्चों को चीनी बिल्कुल नहीं दी जाती थी। परिणामस्वरूप, इन बच्चों में बड़े होकर दिल की बीमारियों का खतरा 20% तक कम, हार्ट अटैक की संभावना 25% कम, हृदय गति रुकने का जोखिम 26% कम, और स्ट्रोक का खतरा 31% कम पाया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि बचपन में चीनी की मात्रा सीमित करने से न केवल ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहते हैं, बल्कि यह दिल को अप्रत्यक्ष रूप से स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करता है। यही कारण है कि माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को शुरुआत से ही कम मीठा और पोषक भोजन देने की आदत डालें।
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन से कोई सीधा कारण-परिणाम संबंध साबित नहीं होता, लेकिन इसके नतीजे यह दर्शाते हैं कि जीवन के शुरुआती वर्षों में संतुलित और कम शर्करा वाला आहार आगे चलकर मजबूत हृदय और बेहतर स्वास्थ्य की नींव रख सकता है।

