
हार्ट अटैक के शुरुआती संकेत: थकान से लेकर साइलेंट अटैक तक
हार्ट अटैक के मामले पहले की तुलना में बढ़ गए हैं। इनमें से कुछ स्पष्ट होते हैं, जबकि कुछ साइलेंट (चुपके से) आते हैं। आम धारणा है कि हार्ट अटैक अचानक तेज़ सीने के दर्द के साथ होता है, जैसा फिल्मों में दिखाया जाता है। लेकिन कार्डियोलॉजिस्ट्स बताते हैं कि शुरुआती चेतावनियां अक्सर हल्की होती हैं और इन्हें नजरअंदाज करना आसान होता है।
लगातार थकान – पहला संकेत
फोर्टिस, नई दिल्ली के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रमोद कुमार बताते हैं कि लगातार थकान महसूस होना, जो आराम करने के बाद भी कम न हो, हार्ट पर दबाव का संकेत हो सकता है। जब दिल कमजोर पड़ता है, तो वह शरीर को पर्याप्त ब्लड पंप नहीं कर पाता, जिससे ऑक्सीजन की कमी होती है और शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यही कारण है कि व्यक्ति लगातार सुस्त या थका हुआ महसूस करता है। डॉ. कुमार कहते हैं, “ऐसी थकान जिसे नींद, डाइट या तनाव से समझाया न जा सके, दिल का पहला SOS सिग्नल हो सकती है।”
अनदेखे संकेत
अक्सर लोग इस थकान को उम्र बढ़ने, लंबे कामकाजी घंटे या नींद की कमी से जोड़ देते हैं। लेकिन अगर पर्याप्त नींद लेने के बावजूद थकान बनी रहती है, तो यह दिल की समस्या का संकेत हो सकता है। साथ में हल्की सांस फूलना, अपच, चक्कर आना या जबड़े में दर्द भी दिखे, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
साइलेंट हार्ट अटैक
साइलेंट हार्ट अटैक तब होता है जब दिल की मांसपेशियों तक खून का बहाव कम या रुक जाता है। इसे “साइलेंट” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सीने में तेज दर्द नहीं होता। इसके लक्षण हल्की थकान, मतली, जबड़े या कंधे में दर्द, और सीने में जलन हो सकते हैं। डॉ. कुमार के अनुसार, साइलेंट हार्ट अटैक उतना ही नुकसान पहुंचा सकता है जितना सामान्य हार्ट अटैक, और अक्सर मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते।
किसे अधिक खतरा होता है
पुरुषों और महिलाओं में लक्षण अलग हो सकते हैं। पुरुषों में आमतौर पर सीने में दर्द होता है, जबकि महिलाओं को पीठ में दर्द, थकान, मतली या सांस फूलने जैसी समस्याएँ ज्यादा होती हैं। बुजुर्ग और मेनोपॉज़ के बाद की महिलाएँ जोखिम में अधिक होती हैं, क्योंकि उनके लक्षण हल्के और अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं।
डॉक्टर से कब मिलें
अगर थकान हफ्तों तक बनी रहे और साथ में सांस फूलना, पैरों में सूजन या धड़कनों का अनियमित होना महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना जरूरी है। समय पर ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम और ब्लड प्रेशर जैसी जांचें बड़ा खतरा टाल सकती हैं। डॉ. कुमार कहते हैं, “अपने शरीर के संकेतों को समझना और समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना, मैनेज करने योग्य स्थिति और जानलेवा इमरजेंसी के बीच फर्क कर सकता है।”

