
Waqf Act Controversy: बिहार में सियासी गलियारों में तेजस्वी यादव के बयान ने तहलका मचा दिया है। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो वे वक्फ एक्ट को खत्म कर देंगे। लेकिन क्या राज्य सरकार सचमुच संसद द्वारा बनाए गए इस कानून को रद्द कर सकती है? आइए जानें इसकी कानूनी हकीकत।
राज्यों के पास कानून खत्म करने का अधिकार नहीं
वक्फ कानून एक केंद्रीय कानून है, जिसे संसद ने पूरे देश में लागू करने के लिए बनाया है। भारतीय संविधान केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन करता है: कुछ विषय केवल केंद्र के हैं, कुछ केवल राज्यों के, और कुछ समवर्ती सूची में आते हैं। राज्यों के पास केंद्रीय कानून को पूरी तरह खत्म करने का अधिकार नहीं है।
राज्यों के पास क्या विकल्प हैं
वक्फ से जुड़े मामलों में राज्य केंद्र के कानून के अनुरूप संशोधन कर सकता है या कुछ विशेष प्रावधान लागू करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी ले सकता है। लेकिन कानून को पूरी तरह रद्द करना केवल संसद का अधिकार है। Article 254 के तहत, यदि राज्य का कानून केंद्रीय कानून से टकराता है, तो राज्य का विरोधाभासी प्रावधान अमान्य माना जाएगा।
राज्य स्तर पर क्या किया जा सकता है
राज्य विधानमंडल केंद्र के कानून के अनुरूप अपने संशोधन पेश कर सकता है। यदि राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है, तो यह राज्य-विशिष्ट रूप से लागू हो सकता है। फिर भी, केंद्र को अधिकार है कि वह अपने कानून के माध्यम से इसे बदल सके। Article 256 के तहत राज्य को केंद्रीय कानूनों का पालन करना अनिवार्य है।
तेजस्वी का बयान राजनीतिक
इसलिए, तेजस्वी यादव का वक्फ एक्ट खत्म करने का बयान केवल राजनीतिक घोषणा है। यदि उनकी सरकार आती भी है, तो कानून को रद्द करने के लिए पहले संसद में प्रस्ताव लाना होगा या राज्य को केंद्र के कानून के अनुरूप संशोधन के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी।

