
भारतीय रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर दो हफ्तों में अपनी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज कर गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.34 प्रति डॉलर पर खुला और बाद में 88.40 के स्तर तक फिसल गया, जो पिछले बंद भाव से 21 पैसे की कमजोरी दर्शाता है। रुपये पर यह दबाव मुख्य रूप से डॉलर की बढ़ती मांग और कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में तेजी के कारण देखने को मिला।
यह 14 अक्टूबर के बाद रुपये की सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट रही। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से आने वाले दिनों में स्थिरता लौट सकती है। कारोबारियों के मुताबिक, आरबीआई की डॉलर बिकवाली ने रुपये को बड़ी गिरावट से बचाया और उसे एक सीमित दायरे में बनाए रखा।
सोमवार को भी रुपये में कमजोरी जारी रही थी और यह 36 पैसे टूटकर 88.19 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस बीच, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 0.12% गिरकर 98.66 पर आ गया, जो प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मामूली कमजोरी को दर्शाता है।
रुपये की गिरावट का असर घरेलू शेयर बाजारों पर भी दिखाई दिया। शुरुआती बढ़त के बाद बीएसई सेंसेक्स लगभग 400 अंकों तक फिसल गया, जबकि एनएसई निफ्टी 50 भी 25,900 के नीचे पहुंच गया। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.02% की मामूली बढ़त के साथ 65.63 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने सोमवार को 55.58 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की।

