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Thursday, September 25, 2025
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30 साल पुराने मामले में नुस्ली वाडिया और परिवार पर FIR दर्ज

मुंबई के बांगुर नगर पुलिस स्टेशन में फेरानी होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ अदालत में चल रही कार्यवाही के दौरान कथित रूप से जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों का उपयोग करने के आरोप में प्रख्यात उद्योगपति नुस्ली नेविल वाडिया, मौरीन नुस्ली वाडिया, नेस वाडिया, जहांगीर नुस्ली वाडिया सहित कुल सात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (BNS) की धाराओं 318(4), 331(2), 336(3), 339, 340(2), 61(2) और 3(5) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायत में यह आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने वित्तीय लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से धोखाधड़ी और छल की नीयत से फर्जी दस्तावेजों का अवैध रूप से उपयोग किया।

वाडिया परिवार और फेरानी होटल्स के बीच 30 साल पुराने समझौते को लेकर विवाद गहराया

मलाड स्थित एक भूखंड के विकास को लेकर वाडिया परिवार और फेरानी होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच तीन दशक पुराना समझौता अब कानूनी विवाद का रूप ले चुका है। इस मामले में शिकायतकर्ता द्वारा अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के बाद बोरीवली स्थित मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने बांगुर नगर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

अदालत के निर्देश पर पुलिस ने नुस्ली नेविल वाडिया, मौरीन वाडिया (78), नेस वाडिया (54), जहांगीर वाडिया (52), एच. जे. बामजी (75), के. एफ. भारूचा और आर. ई. वंदेवाला (65) सहित कुल सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज कर लिया है।

पुलिस के मुताबिक विवाद का केंद्र बिंदु मलाड की वह जमीन है, जिसे लेकर 30 वर्ष पहले वाडिया और फेरानी होटल्स के बीच एक विकास समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार, फेरानी होटल्स को बिल्डर के. रहेजा के साथ मिलकर उस भूखंड का विकास करना था, जबकि वाडिया परिवार को कुल बिक्री से 12% हिस्सा मिलना तय हुआ था।

हालांकि, 2008 में इस समझौते को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, जिसके बाद जमीन के प्रबंधन और बिक्री को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। यह मामला समय के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों तक पहुंचा, जहां दस्तावेजों की वैधता और व्यावसायिक अधिकारों पर सवाल उठे।

शिकायतकर्ता महेंद्र चंदे (70), जो फेरानी होटल्स प्राइवेट लिमिटेड और उसकी समूह कंपनियों के सीईओ हैं, का आरोप है कि वाडिया परिवार और अन्य आरोपियों ने 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक वाणिज्यिक मुकदमे के दौरान फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

महेंद्र चंदे ने 15 मार्च 2025 को बांगुर नगर पुलिस स्टेशन और 24 मार्च को मुंबई पुलिस आयुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस उपेक्षा के चलते उन्हें मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, बोरीवली में निजी शिकायत दाखिल करनी पड़ी, जिसके बाद अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

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