GST 2.0: 22 सितंबर से लागू होने वाले जीएसटी सुधारों के साथ देश की इकोनॉमी में कुल 2 लाख करोड़ रुपये का उछाल आएगा। जब लोगों के पास अधिक पैसा बचेगा, तो घरेलू खर्च को भी बढ़ावा मिलेगा।

GST 2.0: आज 22 सितंबर को नवरात्रि का पहला दिन है और आज से देश में जीएसटी का नया रिफॉर्म लागू हो गया है. नेक्स्ट-जेन GST के तहत टैक्स स्लैब को चार से दो कर दिया गया है, अर्थात 5 परसेंट और 18 परसेंट। इससे उन चीजों की कीमतें कम होंगी, जिनका उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में होता है जैसे कि एसी, फ्रीज, बेबी प्रोडक्ट, दूध, मक्खन, ब्रेड आदि। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बताया कि 22 सितंबर से लागू होने वाले जीएसटी सुधारों से लोगों को अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू खर्च को बढ़ावा मिलेगा। इससे देश की इकोनॉमी में कुल 2 लाख करोड़ रुपये का उछाल आने की संभावना है।
इसलिए जीएसटी में किया गया बदलाव
वित्त मंत्री ने बताया कि जीएसटी को पहले के चार स्लैब से घटाकर 2 स्लैब करने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि देश के आम आदमी और छोटे-बड़े कारोबारियों को अधिक मुनाफा हो। वित्त मंत्री ने बताया कि जीएसटी रिफॉर्म्स के चलते 12 परसेंट GST वाले 99 परसेंट प्रोडक्ट अब 5 परसेंट वाले स्लैब में आ गए हैं। इसी तरह से 28 परसेंट GST वाले 90 परसेंट आइटम्स अब 18 परसेंट वाले स्लैब में आ गए हैं। FMCG सेक्टर की भी कई बड़ी कंपनियों ने अपनी इच्छा से चीजों की कीमतें कम की हैं ताकि इस बदलाव का फायदा सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचे।
कैसे होगी 2 लाख करोड़ की बचत?
तमिलनाडु खाद्यान्न व्यापारी संघ की 80वीं वर्षगांठ पर बोलते हुए सीतारमण ने कहा, ”जीएसटी 2.0 से कंजप्शन बढ़ेगा क्योंकि दो-स्लैब टैक्स स्ट्रक्चर से कई चीजों की कीमत कम हो जाएगी, जिससे घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगा. यानी कि सरकार को 2 लाख करोड़ रुपये जनता से टैक्स के रूप में नहीं, बल्कि यह पैसा सीधे इकोनॉमी में चला जाएगा.”
उन्होंने कहा, ”जैसे कि जब आप एक ही चीज बार-बार खरीदेंगे, मान लीजिए कि साबुन अधिक मात्रा में खरीदे जा रहे हैं, तो इससे मैन्युफैक्चरर प्रोडक्शन बढ़ाएगा. प्रोडक्शन बढ़ेगा, तो काम पर अधिक लोगों की भर्ती की जाएगी. जब बड़ी संख्या में लोग अपनी इनकम पर सरकार को टैक्स देंगे, तो इनडायरेक्ट टैक्स के रूप में सरकार का भी रेवेन्यू बढ़ेगा.’ अगर यही साइकिल चलता रहा, तो यह इकोनॉमी के लिए अच्छा होगा.”
कुल मिलाकर जब देश की जनता अधिक पैसे खर्च करेगी, तो डिमांड बढ़ेगी. इसे पूरा करने के लिए प्रोडक्शन बढ़ाया जाएगा, जिससे अधिक लोगों को नौकरी मिलेगी. जब नौकरियां अधिक होंगी, तो टैक्स का दायरा भी बढ़ेगा.