
Jitiya Vrat Dahi Chuda: जितिया व्रत मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में माताएं अपनी संतान की खुशहाली और सलामती के लिए रखती हैं। इस व्रत के दौरान महिलाएं आधी रात को दही-चूड़ा क्यों खाती हैं? आइए जानते हैं इसका कारण।
जितिया व्रत 2025 इस साल 14 सितंबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं, यानी पूरे दिन बिना पानी के रहती हैं, जो इस व्रत की खास बात है। इसलिए व्रत शुरू होने से पहले महिलाएं नहाकर भोजन करती हैं और सप्तमी की आधी रात को दही-चूड़ा खाती हैं।
आधी रात को दही-चूड़ा खाने की परंपरा न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि इसमें स्वास्थ्य और मौसम का भी बड़ा योगदान है। दही में जल की मात्रा अधिक होती है, जो पेट को ठंडा और आरामदायक रखता है, वहीं चूड़ा शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे अगले दिन निर्जला व्रत रखना आसान हो जाता है।
जितिया व्रत भाद्रपद या आश्विन महीने में आता है, जो धान की कटाई का समय भी होता है, इसलिए चावल और चूड़ा आसानी से उपलब्ध होते हैं। इसलिए यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं बल्कि व्यावहारिक और स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
व्रत से पहले और बाद में भी कई खास रीति-रिवाज निभाए जाते हैं:
- नहाय-खाय (व्रत से एक दिन पहले): अरवा का चावल, कद्दू, झींगा, मूली, अरबी की सब्जियां, दाल और देसी घी का सेवन किया जाता है।
- व्रत की रात (सप्तमी की आधी रात): दही-चूड़ा या क्षेत्रीय परंपरा अनुसार दूध-चूड़ा या गुड़ के साथ दही चूड़ा खाया जाता है, जो हल्का और ऊर्जा प्रदान करने वाला भोजन होता है।
- व्रत के दिन (अष्टमी): महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं, पूजा-पाठ करती हैं और जीउतिया की कथा सुनती हैं।
- पारण (नवमी तिथि): इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जैसे पूरी, कचौड़ी, दाल-भात, कद्दू-झींगा, नोनिया का साग, मूली की सब्जी, ठेकुआ, खीर और गुड़ की मिठाइयां। कई जगह मछली भात भी परोसा जाता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। ABPLive.com इन जानकारियों की पुष्टि नहीं करता। किसी भी धार्मिक या स्वास्थ्य संबंधी कदम उठाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।