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Saturday, September 20, 2025
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इतिहास में दर्ज पहला तख्तापलट: कब हुआ था और क्यों?

नेपाल इस वक्त जनआक्रोश की आग में जल रहा है। युवा वर्ग, खासतौर पर Gen Z, देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है। बीते दो दिनों में हालात इतने बिगड़ गए कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को न सिर्फ पद से इस्तीफा देना पड़ा, बल्कि उन्हें देश तक छोड़ना पड़ा। देशभर में फैले विरोध-प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं, जिसमें अब तक कम से कम 22 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हैं। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और कई मंत्रियों के घरों को आग के हवाले कर दिया है। इस संकट के बीच सेना ने मोर्चा संभाल लिया है और नेपाल में हालात पूरी तरह अस्थिर हो चुके हैं। हाल ही में हुए इस तख्तापलट ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे पहला तख्तापलट कब और कहां हुआ था? आइए, एक नज़र डालते हैं तख्तापलट के इतिहास पर।

दुनिया में कहां हुआ था पहला तख्तापलट?

दुनिया में सबसे पहले और सबसे अधिक तख्तापलट अफ्रीकी महाद्वीप में देखने को मिले हैं। अफ्रीका में पहला तख्तापलट 13 जनवरी 1963 को टोगो में हुआ था, जब देश के पहले राष्ट्रपति सिल्वानस ओलंपियो की असंतुष्ट सैनिकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना को अफ्रीका में स्वतंत्रता के बाद सत्ता के पहले असंवैधानिक हस्तांतरण के रूप में देखा जाता है। इसके बाद सूडान, बुर्किना फासो और नाइजीरिया जैसे अफ्रीकी देशों में भी कई बार तख्तापलट की घटनाएं हुईं, जिसने इस महाद्वीप को राजनीतिक अस्थिरता का गढ़ बना दिया।

भारत के पड़ोसी देशों में भी तख्तापलट का इतिहास

भारत के आसपास के देशों में भी तख्तापलट की घटनाएं बार-बार सामने आई हैं। पाकिस्तान में 1958, 1977 और 1999 में सैन्य तख्तापलट हुए, जिनमें सबसे चर्चित 1999 का तख्तापलट था, जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। वहीं, श्रीलंका में 2022 का जनविद्रोह, जो आर्थिक संकट से उपजा था, सरकार के खिलाफ बड़ा सत्ता परिवर्तन बन गया। बांग्लादेश में भी 1970 और 80 के दशक में कई बार सेना ने सत्ता पर कब्जा जमाया। अब इस सूची में नेपाल का ताजा घटनाक्रम भी जुड़ गया है।

क्यों होते हैं तख्तापलट? जानिए मुख्य कारण

तख्तापलट आमतौर पर राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और सत्ता की लालसा से प्रेरित होते हैं। जब किसी देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर पड़ने लगती हैं, शासन व्यवस्था केंद्रित हो जाती है और आम जनता की आवाज अनसुनी कर दी जाती है, तब सेना या असंतुष्ट ताकतें सत्ता को अपने हाथ में लेने की कोशिश करती हैं। कई बार तख्तापलट जनता के समर्थन से होते हैं, तो कई बार ये सैन्य या राजनैतिक षड्यंत्रों का नतीजा होते हैं।

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