Wednesday, August 6, 2025
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क्या ब्लूटूथ हेडफोन के इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है? टेक्नोलॉजी के दोस्त इस सवाल का सच जानने की कोशिश करें।

ब्लूटूथ हेडफोन से कैंसर होने का कोई स्पष्ट वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, क्योंकि इनमें निकलने वाली रेडिएशन बहुत ही कम और नुकसान रहित मानी जाती है।

ब्लूटूथ हेडफोन और वायरलेस ईयरफोन जैसे Apple AirPods, Bose, Beats या bone-conduction हेडफोन (जैसे Shokz) को लेकर एक सवाल लंबे समय से चर्चा में है – क्या ये कैंसर का कारण बन सकते हैं?

यह आशंका है कि यह उपकरण रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन (RFR) विकिरण उत्सर्जित कर सकते हैं, जो मस्तिष्क के कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का कारण बन सकता है। हालांकि, अब तक की शोध में इस दावे को पूरी तरह से समर्थन नहीं मिला है

ब्लूटूथ और कैंसर के बीच संबंध: चिंता क्यों हो रही है?

2015 में कुछ अध्ययन ने सुझाव दिया कि लंबे समय तक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) से संपर्क में रहना – जैसे कि मोबाइल फोन, वाई-फाई, मोबाइल टावर, या वायरलेस बेबी मॉनिटर – से मस्तिष्क के ट्यूमर, बांझपन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं

ऐसे कारण, 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने WHO और UN से EMR पर सख्त नियम लागू करने की मांग की थी

2019 में AirPods और अन्य वायरलेस हेडसेट्स की लोकप्रियता के साथ इस विवाद ने फिर से उछाल मचाई। खास ध्यान दिया गया रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन पर, जो वायरलेस संचार के लिए कम बैंडविड्थ पर काम करता है।

रेडिएशन के प्रकार कितना खतरनाक है?

रेडिएशन दो प्रकार का होता है:

आयोनाइजिंग रेडिएशन (जैसे X-रे, गामा किरणें): यह कोशिकाओं की डीएनए संरचना को नुकसान पहुंचा सकता है और कैंसर का कारण बन सकता है

नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन (जैसे रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव, ब्लूटूथ): यह रेडिएशन इतनी ऊर्जा नहीं उत्पन्न करता कि DNA को सीधे नुकसान पहुंचाए

यूवी किरणें, जो नॉन-आयोनाइजिंग हैं, ज्यादा मात्रा में स्किन कैंसर का कारण बन सकती हैं। इस आधार पर कुछ विशेषज्ञों को आरएफआर के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चिंता रही है, विशेषकर बच्चों में, जिनकी खोपड़ी पतली होती है और आरएफआर अवशोषण अधिक होता है

वैज्ञानिकों के अब तक के निष्कर्ष के अनुसार, क्या कहा जा सकता है?

Bluetooth डिवाइस द्वारा उत्सर्जित RFR बहुत कम होती है—यह सेल फोन के मुकाबले 10 से 400 गुना कम होती है

राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) के अनुसार, इन तरंगों की शक्ति इतनी नहीं होती कि वे डीएनए को हानि पहुंचा सकें

2019 की एक अध्ययन ने दर्शाया कि Bluetooth के रेडिएशन X-ray जैसी ऊँची ऊर्जा वाली तरंगों से लाखों गुना कमजोर हो जाता है

आज तक, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या यूरोप में मोबाइल फोन या ब्लूटूथ डिवाइस के इस्तेमाल से मस्तिष्क कैंसर की दर में कोई विशेष वृद्धि नहीं देखी गई है

फिर भी सतर्कता जरूरी क्यों मानी जाती है?

“CDC, FDA और FCC का मानना है कि ब्लूटूथ डिवाइस से कैंसर का खतरा नहीं होता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) अभी भी रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन (RFR) को ‘संभावित कैंसरकारी’ (possibly carcinogenic) श्रेणी में रखती है



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