शिमला – दक्षिण-पश्चिम मानसून रविवार को हिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में आगे बढ़ गया है। प्रदेश के कई भागों में लगातार सात दिन भारी बारिश का अलर्ट है। चार दिन के लिए ऑरेंज व तीन दिन के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। वहीं बीती रात कसौली में 30.0, जोत 21.0, मुरारी देवी 13.0, मंडी 9.8, करसोग 8.1, पच्छाद 5.2, जोगिंदरनगर 4.0, शिमला 1.6, पालमपुर 1.4, सोलन और सुंदरनगर में 0.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। राजधानी शिमला व अन्य क्षेत्रों में रुक-रुककर बारिश का दाैर जारी है।
इन दिनों में के लिए भारी बारिश का अलर्ट
माैसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य में 28 जून तक बारिश जारी रहने का पूर्वानुमान है। 23, 25, 26 और 27 जून को अधिकांश स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है, 24 और 27 जून को अलग-अलग स्थानों पर एक या दो बार भारी वर्षा हो सकती है। 23, 25, 26 और 27 जून को अलग-अलग स्थानों पर एक या दो बार भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमाैर जिले में भारी बारिश का अलर्ट है।
मानसून के दौरान सतर्क रहें, मंडी जिला प्रशासन ने जारी की एडवाइजरी

मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से अधिक सक्रिय रहने की संभावना है। इसे देखते हुए मंडी जिला प्रशासन व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आम जनता की सुरक्षा के लिए एडवाइजरी जारी की है। उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने बताया कि एडवाइजरी का उद्देश्य नागरिकों को संभावित आपदाओं के प्रति सतर्क और तैयार रखना है ताकि जनहानि और संपत्ति की हानि को कम किया जा सके। जिला प्रशासन ने नागरिकों से इस बरसात में विशेष सावधानियां बरतने का आग्रह किया है। नागरिक केवल मौसम विभाग, जल आयोग और जिला प्रशासन की ओर से जारी आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें तथा अफवाहों से बचें। बारिश के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचें और विशेषकर रात को नदी किनारे, ढलानों या भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में जाने से परहेज करें।
प्रत्येक परिवार एक आपातकालीन किट तैयार रखें
प्रत्येक परिवार एक आपातकालीन किट तैयार रखें, जिसमें पीने का पानी, सूखा राशन, दवाई , टॉर्च, बैटरियां, पहचान पत्र और चार्जर हो। नागरिक जल निकासी नालियों व पुलियों की समय पर सफाई सुनिश्चित करें ताकि जलभराव या बाढ़ जैसी स्थिति न उत्पन्न हो। जो परिवार भूस्खलन या बाढ़ संभावित क्षेत्रों में रहते हैं, वे पहले से सुरक्षित स्थानों की पहचान कर लें और कहीं और जाने की योजना बनाएं। किसी भी आपदा के संकेत जैसे भूमि में दरारें, पेड़ों या खंभों का झुकना या जल बहाव में बदलाव दिखे तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें। विद्यालयों व आंगनबाड़ियों की सुरक्षा जांच करें और बच्चों के लिए सुरक्षित निकासी अभ्यास आयोजित करें। पशुपालक पशुओं के लिए सुरक्षित स्थान चिह्नित करें और चारे-पानी की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करें।