बी-2 स्टील्थ बॉम्बर, बंकर बस्टर बम और टॉमहॉक मिसाइल समेत तमाम ताकतवार हथियार तीन प्रमुख ईरानी परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर कहर बनकर टूटे
वॉशिंगटन – अमेरिका ने इस्राइल का साथ देते हुए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया। अमेरिका ने हमले के लिए अपने प्रमुख हथियारों का इस्तेमाल किया। इसमें बी-2 स्टील्थ बॉम्बर, बंकर बस्टर बम और टॉमहॉक मिसाइल समेत तमाम ताकतवार हथियार शामिल थे। ये हथियार तीन प्रमुख ईरानी परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर कहर बनकर टूटे। बी-2 स्टील्थ बॉम्बर अमेरिकी वायुसेना में अपनी तरह का खास हथियार है, जो तीन दशकों से अमेरिकी स्टील्थ तकनीक की रीढ़ रहा है। बी-2 स्टील्थ बॉम्बर में दुश्मन के एयर डिफेंस को भेदने की अद्भुत क्षमता है। इसे नॉर्थरोप ग्रूमन नामक कंपनी ने बनाया है। बी-2 स्टील्थ बॉम्बर विमान की खासियत ये है कि इसे आसानी से ट्रैक नहीं किया जा सकता। साथ ही यह बेहद उंचाई पर उड़ान भर सकता है, जिससे एयर डिफेंस के लिए भी इसे भेद पाना बेहद मुश्किल है। बी-2 स्टील्थ बॉम्बर पूरी सटीकता से दुश्मन ठिकानों पर हमला कर सकता है। इस अत्याधुनिक इंजीनियरिंग तकनीक से डिजाइन किया गया है, जिससे पारंपरिक रडार सिस्टम इसे नहीं पकड़ सकता। लगभग 2.1 बिलियन डॉलर की कीमत वाले बी-2 स्टील्थ बॉम्बर सबसे महंगे सैन्य विमान हैं। बंकर बस्टर बेहद ताकतवर विस्फोटक हैं, जो जमीन के काफी अंदर तक मार कर सकते हैं। आम तौर पर इन्हें बंकरों को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जीपीएस गाइडेड इन बमों को बेहद सुरक्षित माने जाने वाले ठिकानों को निशाना बनाया जाता है। अमेरिका ने फोर्डो को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया। बंकर बस्टर बम का वजन 13600 किलोग्राम है और यह जमीन के अंदर 200 फीट तक घुसकर मार कर सकता है। 20 फीट लंबे और 2.6 फीट व्यास वाले इस विमान को एयर फोर्स रिसर्च लेबोरेटरी के म्यूनिशन डायरेक्टोरेट ने विकसित किया है और बोइंग ने इसका डिजाइन और परीक्षण किया है। अमेरिका ने ईरान पर हमले में 12 बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया।
अमेरिका ने 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों से ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। जमीन में अंदर तक हमला करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल को अमेरिकी जहाजों और पनडुब्बियों से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल सैटेलाइट कम्युनिकेशन के जरिये उड़ान के दौरान लक्ष्य बदल भी सकती है। ये मिसाइलें उभरते लक्ष्यों का जवाब देने के लिए लक्ष्य क्षेत्र के ऊपर मंडरा सकती हैं और युद्ध क्षति की जानकारी भी दे सकती हैं।
अमेरिका ने ईरान पर हमलों के दौरान हवाई मदद के लिए एफ-22 रैप्टर और एफ-35 ए लाइटनिंग लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया। एफ-22 रैप्टर विमान चालाक, गतिशील और वैमानिक प्रणाली से लैस है। इसका डिजाइन बेहतर है। यह लड़ाकू विमान हमले को रोकने की कोशिश करने वाले खतरे को मात दे सकता है। जबकि अमेरिकी वायुसेना के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एफ-35 ए लाइटनिंग में उच्च स्तरीय स्टेल्थ क्षमताएं हैं। यह सभी मौसम की स्थितियों में सटीक हमले कर सकता है। इसके पंखों का फैलाव 35 फीट है। 51 फीट लंबा विमान 8,000 किलोग्राम से अधिक का पेलोड ले जा सकता है।
