Saturday, November 16, 2024
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टमाटर, प्याज और आलू की महंगाई पर रिसर्च पेपर से निकली वो सच्चाई, जानकर हैरान रह जाएंगे

रिसर्च पेपर में RBI ने लेखकों के हवाले से जो बात कही, वो जानकर हैरान होना स्वाभाविक होगा क्योंकि एक तरफ आम ग्राहक सब्जियों की महंगाई से परेशान है, वहीं दूसरी तरफ ये खुलासा आश्चर्य में डाल देता है.


Onion-Potato: देश में आप प्याज, टमाटर और आलू की महंगाई से परेशान हैं तो रिजर्व बैंक ने इस पर हैरान करने वाला खुलासा कर दिया है. आप तो प्याज-टमाटर और आलू के लिए भरपूर पैसा खर्च कर रहे हैं लेकिन ग्राहक चाहे जितना खर्च करे, किसानों को उसका बहुत थोड़ा ही फायदा मिल पा रहा है. आरबीआई के ताजा शोध पत्र यानी रिसर्च पेपर में इस बात का खुलासा हुआ है.

प्याज के लिए अगर 100 रुपये किलो दिए तो किसानों को मिला केवल 33 फीसदी पैसा

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि प्याज किसानों को ग्राहकों के खर्च का केवल 36 फीसदी मिलता है. वहीं टमाटर के लिए यह 33 फीसदी और आलू के मामले में 37 फीसदी है. रिसर्च पेपर में स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कृषि डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर में सुधार का सुझाव दिया गया है. इसमें किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद के लिए निजी मंडियों की संख्या बढ़ाने की बात शामिल है. टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों को लेकर सब्जियों की महंगाई पर अध्ययन पत्र में कहा गया है.

टमाटर, प्याज और आलू के डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर असमानता

चूकि सब्जियां जल्दी खराब होने वाली वस्तुएं हैं, ऐसे में टमाटर, प्याज और आलू के डिस्ट्रीब्यूशन में पारदर्शिता में सुधार के लिए निजी मंडियों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है. कॉम्पटीशन से स्थानीय स्तर की कृषि उपज बाजार समिति के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में भी मदद मिल सकती है.’’ग्रॉस इंफ्लेशन पर हाल के दबाव के पीछे खाद्य मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया गया है. इसमें टमाटर, प्याज और आलू के दाम में भारी उतार-चढ़ाव सबसे चुनौतीपूर्ण रही हैं.

किसने तैयार किया रिसर्च पेपर

रिसर्च पेपर को आर्थिक अनुसंधान विभाग (डीईपीआर) के कर्मचारियों और बाहर के लेखकों ने मिलकर तैयार किया है. रिसर्चर्स ने पाया कि बाजारों में मौजूदा कमियों को कम करने में मदद के लिए ई-राष्ट्रीय कृषि बाजारों (ई-एनएएम) का लाभ उठाया जाना चाहिए. इससे किसानों को प्राप्त कीमतों में वृद्धि होगी जबकि दूसरी तरफ उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमतें कम होंगी.

रिसर्च पेपर में टमाटर, प्याज और आलू के मामले में किसान उपज संगठनों को बढ़ावा देने की बात कही गयी है. साथ ही प्याज में खासकर सर्दियों की फसल के लिए वायदा कारोबार शुरू करने की वकालत की गयी है. इससे अनुकूलतम मूल्य खोज और जोखिम प्रबंधन में मदद मिलेगी. इसमें इन सब्जियों के भंडारण, उनके प्रसंस्करण और उत्पादकता बढ़ाने के तरीकों के बारे में सुझाव दिये गये हैं.

दालों की महंगाई पर भी रिसर्च पेपर में खुलासे

इस बीच, चना, तुअर और मूंग पर जोर के साथ दाल की महंगाई दर पर इसी तरह के एक अध्ययन में कहा गया है कि चने पर उपभोक्ता खर्च का लगभग 75 फीसदी किसानों के पास गया. मूंग और अरहर के मामले में यह क्रमश: 70 फीसदी और 65 फीसदी है. आरबीआई ने साफ किया है कि रिसर्च पेपर में विचार लेखकों के हैं और उससे उसका कोई लेना-देना नहीं है.

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