Friday, November 15, 2024
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छात्र नेता रहते मांगा PM का इस्तीफा तो मिलने चली आई थीं इंदिरा गांधी, ऐसा था सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर…

येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में हुआ था. वे तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. इमरजेंसी के दौरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने पर येचुरी जेल भी गए.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने गुरुवार को अंतिम सांस ली. उनका 72 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में निधन हो गया.

येचुरी लंबे वक्त से बीमार थे, उन्हें 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था. इसके बाद उन्हें एम्स के आईसीयू में शिफ्ट किया गया था. येचुरी देश में वामपंथ के सर्वाधिक पहचाने जाने वाले चेहरों में से एक थे और वह एक ऐसे उदार वामपंथी नेता थे जिनके मित्र सभी राजनीतिक दलों में थे. 

येचुरी ने पार्टी के दिवंगत नेता हरकिशन सिंह सुरजीत के मार्गदर्शन में काम सीखा, जो 1989 में गठित वी.पी. सिंह की NDA और 1996-97 की UPA सरकार के दौरान गठबंधन युग में एक प्रमुख नेता थे. इन दोनों ही सरकारों को माकपा ने बाहर से समर्थन दिया था.

UPA का साझा न्यूनतम कार्यक्रम किया था तैयार

UPA सरकार के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने में येचुरी ने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के साथ काम किया था. सुरजीत के शिष्य ने गठबंधन बनाने की उनकी विरासत को जारी रखा और 2004 में वाम दलों के समर्थन से UPA सरकार के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई.

येचुरी ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर UPA के साथ चर्चा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हालांकि, 2008 में वामपंथी दलों ने इस मुद्दे पर UPA-1 सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसका मुख्य कारण उनके पूर्ववर्ती प्रकाश करात का अडिग रुख था.

साल 2015 में पार्टी महासचिव का पदभार संभालने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में येचुरी ने कहा था कि उन्हें महंगाई जैसे मुद्दों पर समर्थन वापस ले लेना चाहिए था, क्योंकि 2009 के आम चुनाव में परमाणु समझौते के मुद्दे पर लोगों को संगठित नहीं किया जा सका.

कई भाषाओं के जानकार थे येचुरी 

येचुरी विभिन्न मुद्दों पर राज्यसभा में अपने सशक्त और स्पष्ट भाषणों के लिए जाने जाते थे. वह बहुभाषी थे और हिंदी, तेलुगु, तमिल, बांग्ला तथा मलयालम भी बोल सकते थे. वह हिंदू पौराणिक कथाओं के भी अच्छे जानकार थे और अक्सर अपने भाषणों में खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करने के लिए उन संदर्भों का इस्तेमाल करते थे. वह नरेन्द्र मोदी सरकार और इसकी उदार आर्थिक नीतियों के सबसे मुखर आलोचकों में से एक रहे.

INDIA गठबंधन के प्रमुख नेता रहे येचुरी

साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018 में माकपा की केंद्रीय समिति ने कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, यहां तक ​​कि पार्टी के महासचिव येचुरी ने इस्तीफे की पेशकश भी की थी.

हालांकि, 2024 के आम चुनाव के दौरान, जब एकजुट विपक्ष के लिए बातचीत शुरू हुई और विपक्षी दल एक साथ मिलकर ‘इंडिया’ गठबंधन बनाने लगे, तो माकपा इसका एक हिस्सा थी और येचुरी गठबंधन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे.

SFI से राजनीतिक सफर की शुरुआत

राजनीति में उनका सफर ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (SFI) से शुरू हुआ था, जिसमें वह 1974 में शामिल हुए और अगले ही साल पार्टी के सदस्य बन गए. आपातकाल के दौरान कुछ महीने बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

जब इंदिरा प्रदर्शन कर रहे येचुरी से मिलने आईं

जेल से रिहा होने के बाद वह तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. वर्ष 1978 में वह एसएफआई के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव बने और उसके तुरंत बाद अध्यक्ष बने. येचुरी ने यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आवास तक मार्च किया था और उन्हें इस्तीफे की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा था.

उन्होंने एक घटना को याद करते हुए कहा था कि वह प्रधानमंत्री के आवास के गेट पर उनके इस्तीफे की मांग करते हुए ज्ञापन चिपकाने के इरादे से गए थे और जब उन्हें अंदर बुलाया गया तथा इंदिरा गांधी स्वयं उनसे मिलने आईं तो वह आश्चर्यचकित रह गए.

2015 में पार्टी के महासचिव बने

पार्टी में उनका उत्थान बहुत तेजी से हुआ. वह 1985 में माकपा की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए और 1992 में 40 वर्ष की आयु में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए. वह 19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में पार्टी के 21वें अधिवेशन में माकपा के पांचवें महासचिव बने और उन्होंने प्रकाश करात से उस समय पदभार संभाला जब पार्टी गिरावट की ओर थी. पार्टी 2004 में 43 सांसदों से घटकर 2014 में नौ सांसदों तक सिमट गई थी. इसके बाद उन्हें 2018 और 2022 में फिर से इस पद के लिए चुना गया.

12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था जन्म

12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी परिवार में जन्मे येचुरी के पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे और उनकी मां कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं.

वह हैदराबाद में पले-बढ़े, लेकिन 1969 में उनका परिवार दिल्ली आ गया. मेधावी येचुरी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया और उसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया.

इमरजेंसी के वक्त हुई गिरफ्तारी

उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एक बार फिर प्रथम श्रेणी के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की, लेकिन कुछ समय तक भूमिगत रहने और विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने के बाद आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी के कारण वह अपनी पीएचडी की डिग्री पूरी नहीं कर सके.

येचुरी 12 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे. वह 2005 में उच्च सदन के लिए चुने गए और 2017 तक सांसद रहे. संप्रग-2 और उसके बाद नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में येचुरी विपक्ष की एक सशक्त आवाज बने रहे.

हाल के लोकसभा चुनाव में माकपा हालांकि ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों ने केरल में अलग-अलग चुनाव लड़ा, जहां माकपा को केवल एक सीट मिली. इस गठबंधन का हिस्सा बनने से माकपा को मदद मिली और उसने राजस्थान में एक सीट और तमिलनाडु में दो सीटें जीतीं, जिससे 17वीं लोकसभा में उसकी कुल सीट की संख्या तीन से बढ़कर चार हो गई.

येचुरी के परिवार में उनकी पत्नी सीमा चिश्ती हैं. उनके बेटे आशीष येचुरी का 2021 में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था. उनकी बेटी अखिला येचुरी एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं तथा उनका एक बेटा दानिश येचुरी भी है. येचुरी की शादी पहले इंद्राणी मजूमदार से हुई थी.

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