Sunday, November 10, 2024
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Ramdas Soren: कौन हैं रामदास सोरेन, जो लेंगे चंपाई सोरेन की जगह, क्यों बनाए जा रहे हैं मंत्री? समझें समीकरण

Ramdas Soren News: झारखंड में चंपाई सोरेन की जगह शुक्रवार को घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन मंत्री पद की शपथ लेंगे. वे घाटशिला विधानसभा सीट से 2 बार विधायक रह चुके हैं.

Who Is Ramdas Soren: झारखंड में चंपाई सोरेन की जगह रामदास सोरेन मंत्री बनेंगे. शुक्रवार की सुबह 10:30 बजे राजभवन में मंत्री पद की शपथ लेंगे. रामदास सोरेन घाटशिला से जेएमएम विधायक हैं. चंपाई सोरेन की तरह वह भी कोल्हान क्षेत्र के बड़े नेता हैं. शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहे थे. आदिवासी समाज के बीच उनकी अच्छी पैठ है. पहली बार रामदास सोरेन 2009 में और दूसरी बार 2019 में विधायक बने. वह जेएमएम के पूर्वी सिंहभूम के जिला अध्यक्ष भी हैं.

घोड़ाबांधा ग्राम प्रधान के रूप में की थी करियर की शुरुआत
रामदास सोरेन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत घोड़ाबांधा ग्राम प्रधान के रूप में की थी. वे मूल रूप से घाटशिला प्रखंड के खरसती के रहने वाले थे, लेकिन उनके दादा की टेल्को के कर्मचारी थे वे वहीं घोड़ाबांधा में बस गए. पहले रामदास सोरेन के पिता पहले घोडाबांधा के ग्राम प्रधान बने. पिता के निधन के बाद रामदास सोरेन को प्रधान चुना गया. ग्राम प्रधान के रूप में भी रामदास सोरेन सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय रहते थे. इसके बाद वे झामुमो से सामान्य कार्यकर्त्ता के रूप में जुड़े और 1990 में जिला सचिव व जिलाध्यक्ष भी चुने गए. 

चंपाई सोरेन के बाद रामदास सोरेन को क्यों बनाया मंत्री?
झारखंड मुक्ति मोर्चा कोल्हान क्षेत्र में खुद को कमजोर नहीं करना चाहती इसलिए चंपाई सोरेन की जगह कोल्हान से ही एक मजबूत नेता को खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. रामदास सोरेन पुराने नेता हैं, वे झारखंड आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं. चंपाई सोरेन के बीजेपी में जाने के बाद अब रामदास सोरेन कोल्हान क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे. इसी रणनीति के तहत आज उन्हें मंत्रिपद की जिम्मेदारी दी जा रही है. 

रामदास सोरेन की आदिवासी समाज में भी मजबूत पकड़ मानी जाती है. वे शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका में रहे थे. इस आंदोलन के दौरान उनपर कई मुकदमें भी दर्ज हुए थे. वहीं पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम के अलावा सरायकेला खरसावां जिले में पार्टी में उनसे सीनियर नेता नहीं होने की वजह से भी रामदास सोरेन को बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है. चंपाई सोरेन के बाद कोल्हान क्षेत्र में रामदास सोरेन की गिनती दूसरे नंबर के नेता के रूप में की जाती है.

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