Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: जयपुर शहर लोकसभा सीट से जीतने वाले प्रत्याशी को अभी तक मंत्री बनने का अवसर बीजेपी की तरफ से नहीं दिया गया है. जबकि गिरधारी लाल भार्गव लगातार 6 बार सांसद रहे थे.

Rajasthan Lok Sabha Chunav 2024: राजस्थान में जयपुर लोकसभा सीट ऐसी है, जिसे बीजेपी का गढ़ कहा जाता है. यहां पर बीजेपी पिछले तीन दशक से जीत रही है. अबतक कुल मिलाकर 8 बार बीजेपी चुनाव जीत चुकी है, जिसमें गिरधारी लाल भार्गव लगातार 6 बार सांसद रहे. उस दौरान केंद्र में कई बार एनडीए की सरकार बनी लेकिन भार्गव को अवसर नहीं मिला. जबकि, गिरधारी लाल भार्गव अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के बेहद ख़ास माने जाते रहे. फिर भी उन्हें पार्टी का कर्मठ सिपाही मानकर मंत्री की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया.
इतना ही नहीं, उन्होंने कभी मंत्री के लिए कोई मांग भी नहीं की थी. जबकि, वे मंत्री के उन सभी पैरामीटर में फिट बैठ रहे थे, जो उस दौरान बताया जाता था. भार्गव के बाद जब रामचरण बोहरा ने 2 बार लगातार चुनाव जीता तब भी मंत्री का पद जयपुर शहर को नहीं मिला. अब लोग मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
जयपुर ग्रामीण को मिला लेकिन शहर को नहीं
वर्ष 2014 में केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी जिसमें राजस्थान में सभी सीटों पर बीजेपी को जीत मिली. जिसमें जयपुर शहर की जीत बड़ी थी. जयपुर ग्रामीण को मंत्री मिला लेकिन जयपुर शहर को फिर खाली हाथ रखा गया. यह पिछले तीन दशक से चला आ रहा है. जबकि, यहां पर जयपुर से बीजेपी कांग्रेस के दिग्गजों को हरा रही है. फिर भी जयपुर को मंत्री का अवसर नहीं मिला है.
कांग्रेस ने नवल किशोर को बनाया था मंत्री
राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता नवल किशोर को कांग्रेस ने 1984 में मंत्री बनाया था. वर्ष 1984 में नवल किशोर ने जयपुर शहर से लोकसभा का चुनाव जीता था. उनके बाद से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया. जबकि, यहां से बीजेपी कई बार चुनाव जीत चुकी है. वर्ष 2009 में कांग्रेस के महेश जोशी भी मात्र कुछ हजार वोटों से चुनाव जीता था. केंद्र में यूपीए-दो की सरकार बनी लेकिन जयपुर शहर से कोई मंत्री नहीं बना जबकि ग्रामीण को मंत्री मिल गया था.
केंद्र में कम रहा है महत्व
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा का कहना है कि केंद्र की राजनीति में राजस्थान का कम महत्व रहा है. इसलिए कई बार मजबूत नेता को भी जगह नहीं दी जाती थी. जबकि, गिरधारी लाल भार्गव को मंत्री बनने का चांस लग रहा था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वहीं, गिरधारी लाल भार्गव के बेटे मनोज भार्गव का कहना है कि पिता जी संगठन और पार्टी के समर्पित सिपाही थे. इसलिए उन्हें जो आदेश मिला उन्होंने वहीं किया.