Friday, September 20, 2024
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गाय के दूध में पाया गया खतरनाक H5N1 बर्ड फ्लू वायरस, क्या पीना सुरक्षित है?

H5N1 एक तरह का फ्लू का वायरस है. ये वायरस आमतौर पर पक्षियों में ही रहता है और उनको बीमार करता है. मगर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है ये वायरस गाय, भैंस, बकरी के दूध में भी हो सकता है.

H5N1 बर्ड फ्लू को लेकर एक्सपर्ट्स पहले ही काफी चिंतित हैं. उनकी मानें तो ये बीमारी बहुत तेजी से फैल सकती है और इससे मरने वालों की संख्या कोविड से 100 गुना ज्यादा हो सकती है.

वहीं अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने बताया है कि हाल ही में एक बर्ड फ्लू जिसका नाम H5N1 है, बीमार जानवरों के कच्चे दूध में बहुत ज्यादा मात्रा में पाया गया है.

हालांकि ये अभी पता नहीं चला है कि ये वायरस दूध में कितने समय तक जिंदा रह सकता है.

हाल ही में अमेरिका के टेक्सास में कुछ गायों को बर्ड फ्लू हो गया था. वहां के एक डेयरी फॉर्म में काम करने वाले इंसान को भी इन्हीं गायों की देखभाल से ये बीमारी लग गई थी,

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि ये चिंता की बात है. अब तक बर्ड फ्लू पक्षियों से फैलता था, पर पहली बार गाय से इंसान को ये बीमारी हुई है.

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि बर्ड फ्लू का ये वायरस बदल रहा है. पहले ये सिर्फ पक्षियों से गाय को होता था, अब गाय से गाय को और गाय से पक्षी को भी ये बीमारी लग रही है. चिंता की एक और बात ये है कि बीमार गायों के दूध में भी इस वायरस पाया गया है.

वैज्ञानिकों के लिए हैरानी की बात है क्योंकि उन्हें नहीं लगता था कि ये फ्लू गाय और बकरियों को हो सकता है. लेकिन जांच में पता चला है कि कुछ गायें वाकई में वर्ड फ्लू से संक्रमित थीं. ऐसे में क्या गाय का दूध पीना सुरक्षित है? आइए इस स्पेशल स्टोरी में समझते हैं.

पहले जानिए क्या है H5N1 फ्लू?
H5N1 एक तरह का फ्लू का वायरस है, मगर ये इंसानों का फ्लू नहीं बल्कि पक्षियों का फ्लू है. इसलिए इसे बर्ड फ्लू भी कहते हैं. ये वायरस मुख्यत: पक्षियों में ही रहता है और उनको बीमार करता है. कभी-कभी दूसरे स्तनधारी जानवरों को भी हो सकता है.

अगर किसी पक्षी को ये फ्लू हो जाता है तो उसके पास रहने, उसे छूने या उसकी बीट को छूने से ये इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं. अगर किसी जगह पर बीमार पक्षी रहे हों, तब भी वो जगह दूषित हो सकती है और उससे इंसान बीमार हो सकते हैं. ये फ्लू अगर इंसानों को लग जाए तो काफी गंभीर हो सकता है. इससे तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, निमोनिया (फेफड़ों का इन्फेक्शन) या कई बार बहुत बुरी हालत हो सकती है.

कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है बर्ड फ्लू?
अविअन इन्फ्लुएंजा एच5एन1 वायरस साल 1996 में सबसे पहले पाया गया था. लेकिन 2020 से इसके फैलने की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. इस वायरस की वजह से करोड़ों मुर्गियां मर चुकी हैं. जंगली पक्षी, जमीन पर रहने वाले जीव और समुद्र के जीव भी इससे संक्रमित हो रहे हैं. अब ये वायरल गाय और बकरियों में भी फैल रहा है.

अब सबसे बड़ी चिंता ये है कि ये वायरस इंसानों में भी फैल सकता है. इसीलिए यूरोपियन यूनियन की फूड सेफ्टी एजेंसी (EFSA) ने चेतावनी दी है कि अगर ये वायरस इंसानों में तेजी से फैलता है तो ये एक बड़ी महामारी का रूप ले सकता है.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2003 से अब तक जितने लोगों को भी ये H5N1 फ्लू हुआ है, उनमें से 52 फीसदी लोग मारे गए हैं.

यानी हर 100 बीमार लोगों में से 50 से ज्यादा की मौत हो गई. गौर करने वाली बात ये है कि कोविड-19 के मामले में ये आंकड़ा बहुत कम हो गया है. कोरोना से संक्रमित होकर अभी मरने वालों की संख्या कम होकर 0.1% रह गई है, जबकि महामारी की शुरुआत में ये आंकड़ा 20% था. मगर बर्ड फ्लू के मामले में मरने वाले लोगों का प्रतिशत इससे काफी ज्यादा है.

क्या गाय-भैंस का दूध पीना सुरक्षित है?
अमेरिका की बीमारी रोकथाम संस्था CDC का कहना है कि आम लोगों के लिए अभी ज्यादा खतरा नहीं है. खासकर उन लोगों के लिए जो बीमार जानवरों के आसपास नहीं रहते. सरकारी संस्थाएं इस पूरे मामले पर नजर रख रही हैं, साथ ही ये भी देख रही हैं कि कहीं ये वायरस इंसानों के लिए ज्यादा खतरनाक तो नहीं बन रहा. बहरहाल, अभी फिलहाल स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि आप सिर्फ पाश्चराइज्ड दूध ही पिएं.

अगर आप पेस्ट्राइज्ड दूध पीते हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि दूध बेचने से पहले उसे पाश्चराइज्ड करना जरूरी होता है और ये प्रक्रिया बर्ड फ्लू जैसे वायरस को मार देती है.

तो क्या कच्चा दूध पीना अब सुरक्षित नहीं है?
अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि ये अभी साफ नहीं है कि H5N1 वायरस कच्चे दूध या उससे बने चीज जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स के जरिए फैल सकता है या नहीं. हालांकि ये संस्था हमेशा से ही यही सलाह देती रही है कि लोगों को कच्चा दूध नहीं पीना चाहिए. इसकी वजह ये है कि कच्चे दूध में ऐसे खतरनाक बैक्टीरिया हो सकते हैं जो बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं या कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को बीमार कर सकते हैं.

पाश्चराइजेशन क्या है? क्या ये बर्ड फ्लू को मार सकता है?
पाश्चराइजेशन दूध को गर्म करने की एक प्रक्रिया है. इसकी खोज 1860 के दशक में लुई पाश्चर नाम के फ्रेंच वैज्ञानिक ने की थी. तब से इसका इस्तेमाल दूध में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को खत्म करने के लिए किया जाता है.

पाश्चराइजेशन की प्रक्रिया उस वायरस को भी खत्म कर देती है जो बर्ड फ्लू का कारण बनता है. इसीलिए डॉक्टरों का कहना है कि पाश्चराइज्ड दूध और बाजार में मिलने वाले पैकेट वाले दूध पीने में कोई खतरा नहीं है. कुछ डेयरी उत्पादों को ‘अल्ट्रा पाश्चराइज्ड’ किया जाता है. इसमें दूध को आम पाश्चराइजेशन से ज्यादा तापमान (कुछ सेकंड) पर जल्दी गर्म किया जाता है और फिर तेजी से ठंडा कर दिया जाता है. इससे दूध को ज्यादा समय तक खराब होने से बचाया जा सकता है.

कच्चा दूध पीने से क्या खतरा?
कुछ लोगों को कच्चा दूध ज्यादा अच्छा लगता है. उन्हें इसकी वजह से कई फायदे नजर आते हैं. मसलन, कच्चा दूध ज्यादा गाढ़ा और स्वाद में बेहतर होता है. कुछ लोगों का मानना है कि ये पचाने में भी आसान होता है और ज्यादा पोषक होता है.

मगर कच्चे दूध पर ऐसे ज्यादातर दावे गलत साबित हो चुके हैं. अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) का कहना है कि कच्चा दूध लैक्टोज असहिष्णुता का इलाज नहीं है.

कच्चे दूध में वो बैक्टीरिया हो सकते हैं जो पुराने जमाने में हुआ करते थे, जब पाश्चराइजेशन जैसी प्रक्रियाएं नहीं थीं और खाने-पीने की चीजें साफ नहीं होती थीं.

बच्चों को इससे सबसे ज्यादा खतरा है. दूषित कच्चा दूध पीने से गंभीर बीमारी हो सकती है, कुछ मामलों में किडनी फेलियर भी हो सकता है. वहीं कच्चे दूध से होने वाली कुछ बीमारियों का अभी तक कोई इलाज नहीं है, खासकर बच्चों को होने वाली बीमारियों का.

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