
एआई के तेजी से बढ़ते प्रभाव ने टेक कंपनियों के शेयरों को नए रिकॉर्ड पर पहुंचा दिया है, लेकिन इसके साथ ही ‘एआई बबल’ को लेकर चिंता भी बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह बुलबुला फूटा, तो इसका असर सीधे वैश्विक बाजारों पर पड़ेगा। एक तरफ कंपनियां बड़े स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, वहीं एआई में अरबों डॉलर के निवेश से यह साफ संकेत मिलता है कि आने वाला समय पूरी तरह नई कार्यशैली लेकर आएगा। लेकिन तकनीक जगत में चेतावनियां भी तेज़ हो गई हैं—कई विशेषज्ञ इसे 2000 के डॉट कॉम बबल जैसा संभावित जोखिम बता रहे हैं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने हाल ही में एआई पर आंख मूंदकर भरोसा न करने की सलाह दी। उन्होंने कंपनियों को भी आगाह किया कि एआई में अनियंत्रित निवेश जोखिमभरा साबित हो सकता है। इसी तरह ओपनएआई के सैम ऑल्टमैन और माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स भी एआई को लेकर अत्यधिक उत्साह के ख़तरों पर बात कर चुके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मौजूदा माहौल इंटरनेट बूम के शुरुआती वर्षों जैसा दिखता है—तेजी, उत्साह और भारी निवेश, जिसके बाद बबल फटने पर बाजार बुरी तरह हिल गया था।
यह बहस अब इसलिए तेज़ हुई है क्योंकि हालिया रिपोर्टों ने दिखाया है कि अमेरिकी शेयर बाजार की शीर्ष टेक कंपनियाँ—Apple, Microsoft, Google, Meta, Tesla आदि—कुल मार्केट कैप का लगभग 34% हिस्सा अपने नाम कर चुकी हैं। पिछले साल बाजार में आई तेजी का बड़ा हिस्सा इन्हीं कंपनियों की वजह से था। ऐसे में यदि इन कंपनियों के स्टॉक गिरे, तो पूरा बाजार डगमगा सकता है।
एआई सीखना और अपनाना समय की जरूरत है, लेकिन सिर्फ एआई मॉडल्स या एआई-संचालित भविष्यवाणियों पर भरोसा करके निवेश करना जोखिम पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह ‘एआई बबल’ सच में फूटा, तो भारी नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता।

