Anmol Bishnoi Deport From America: अनमोल बिश्नोई समेत 197 अवैध प्रवासियों को अमेरिका ने वहां से वापस भारत भेज दिया है. इनके पैरों में जीपीएस लगाया गया है. आइए जानें कि यह कैसे लगाया जाता है.

अमेरिका ने 200 भारतीयों को डिपोर्ट किया है. डिपोर्ट किए गए लोगों में गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई और पंजाब के दो वांटेड के अलावा 197 अवैध प्रवासी शामिल हैं. विमान अमेरिका से उड़ान भरकर भारत पहुंच चुका है. यह एक्शन ट्रंप सरकार के सख्त इमिग्रेशन नीतियों का हिस्सा है. इससे पहले फरवरी में 200 से ज्यादा भारतीयों को अमेरिका ने डिपोर्ट किया था.
दरअसल, ये लोग अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने या वीजा ओवरस्टे करने के आरोप में डिपोर्ट किए गए थे. इन लोगों पर आरोप था कि ये लोग ‘डंकी रूट’ यानी कनाडा के रास्ते अवैध प्रवेश का इस्तेमाल करके अमेरिका पहुंचे थे. आइए जानें कि इन लोगों के पैरों में कैसे जीपीएस लगा दिया जाता है.
अनमोल बिश्नोई को भी लगाया गया जीपीएस ट्रैकर
अनमोल बिश्नोई, जिसे लॉरेंस बिश्नोई गैंग का हिस्सा माना जाता है, कई गंभीर मामले, जैसे बाबा सिद्दीकी की हत्या, फायरिंग, संगठित अपराध में नामजद है. अमेरिका में हिरासत के दौरान उसे एंकल मॉनिटर के साथ रखा गया था, जो एक GPS-लगने वाला डिवाइस है. यह डिपोर्टेशन ऑपरेशन स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के बीच महीनों की योजना और समन्वय का परिणाम था.
GPS टैग कैसे काम करता है?
ICE (अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट) का Alternatives to Detention (ATD) प्रोग्राम ऐसे प्रवासियों को लक्षित करता है जिन्हें हिरासत के बजाय निगरानी पर रखा जाता है. इसी प्रोग्राम के तहत GPS एंकल मॉनिटर का विस्तार किया गया है. जून 2025 में ICE की एक आंतरिक मेमो में निर्देश दिया गया कि जहां संभव हो, निगरानी के स्तर को बढ़ाकर एंकल मॉनिटर लगाया जाए. ये मॉनिटर सामान्य वॉच की तरह नहीं होते हैं. ये डिवाइस लगातार GPS सिग्नल कैप्चर कर सकते हैं और ICE को जिला-निगरानी केंद्रों पर रीयल-टाइम या निर्धारित अंतराल पर लोकेशन डेटा भेजते हैं.
इस ट्रैकर के नुकसान
इस निगरानी के गैर-तकनीकी नुकसान भी हैं. कई प्रवासियों ने मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तकलीफों का खुलासा किया है, जैसे नींद न आना, घबराहट, स्किन पर जलन या शरीर में दर्द. कुछ आलोचकों ने इस सिस्टम को डिजिटल पिंजरा भी कहा है, जहां घर आने-जाने की आजादी सीमित हो जाती है.

