Jammu Kashmir News: पहले इस प्रोजेक्ट को एनवायरनमेंट और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने सैकड़ों देवदार के पेड़ों की कटाई के प्रपोजल को लेकर एनवायरनमेंट से जुड़े मुद्दों पर रोक दिया था.

22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले का सीधा असर अब सिर्फ टूरिज्म तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यहां चल रहे विकास कार्यों पर भी दिखने लगा है। सुरक्षा हालात को देखते हुए सरकार ने फिलहाल इस डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को रोक दिया है।
इससे पहले भी यह प्रोजेक्ट पर्यावरण और वन विभाग की आपत्तियों के चलते अटक गया था, क्योंकि प्रस्तावित योजना में बड़ी संख्या में देवदार के पेड़ों की कटाई शामिल थी। अब सुरक्षा से जुड़े खतरे बढ़ने के बाद प्रोजेक्ट एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया है।
सरकार ने दी यह जानकारी
जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि पहलगाम में प्रस्तावित गोंडोला प्रोजेक्ट फिलहाल रोक दिया गया है, क्योंकि एग्जीक्यूटिंग एजेंसी को ग्राउंड सर्वे और टेक्निकल स्टडी दोबारा शुरू करने के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) से सुरक्षा मंजूरी का इंतज़ार है।
मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री उमर अब्दुल्ला ने सदन को जानकारी दी कि जम्मू-कश्मीर केबल कार कॉर्पोरेशन (JKCCC) ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली थी और डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) सहित संबंधित तैयारियों के लिए कंसल्टेंट के साथ एग्रीमेंट भी किया जा चुका था। लेकिन सुरक्षा मंजूरी लंबित रहने के कारण प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
आतंकी हमले की वजह से रुका यह प्रोसेस- उमर अब्दुल्ला
उन्होंने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद लागू हुई सुरक्षा पाबंदियों की वजह से प्रोजेक्ट की प्रक्रिया बीच में ही रुक गई। उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि 1.4 किलोमीटर लंबे इस रोप-वे प्रोजेक्ट का अलाइनमेंट पहले ही तय किया जा चुका है, जिसके तहत लोअर टर्मिनल पॉइंट यात्री निवास के पास और अपर टर्मिनल पॉइंट बियासरन में प्रस्तावित है।
उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के लिए वन विभाग की करीब 9.13 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है और इसकी अनुमानित लागत 100 से 120 करोड़ रुपये आंकी गई है।
नेशनल कांफ्रेंस के विधायक ने उठाया था यह मुद्दा
यह मुद्दा पहलगाम से नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) विधायक अल्ताफ कालू ने विधानसभा में उठाया था। उन्होंने कहा कि आतंकी हमले के बाद टूरिज्म इंडस्ट्री को सामान्य करने के प्रयास किए जाने चाहिए और रोप-वे प्रोजेक्ट उसी दिशा में एक अहम कदम था।
जवाब में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बताया कि प्रोजेक्ट की एग्जीक्यूटिंग एजेंसी ने टोपोग्राफिकल और जियो-टेक्निकल स्टडी के लिए साइट विज़िट की अनुमति मांगी है और फिलहाल सरकार NIA से सुरक्षा मंजूरी का इंतज़ार कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह मामला डिप्टी कमिश्नर अनंतनाग द्वारा NIA के संज्ञान में लाया जा चुका है और वह इस पर विचार कर रही है।” उन्होंने आश्वस्त किया कि जैसे ही NIA से मंजूरी मिलती है, प्रोजेक्ट पर काम तुरंत शुरू कर दिया जाएगा और इसे लगभग 18 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
खूबसूरत शहर को बैसरन घाटी से जोड़ना था मकसद
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का मकसद पहलगाम के खूबसूरत शहर को सड़क मार्ग से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित बैसरन घाटी के शानदार घास के मैदान से 2 किलोमीटर लंबे रोप-वे से जोड़ना है.
बर्फ से ढके पहाड़ों और घने चीड़ के जंगलों से घिरा बाई सरन एक छिपा हुआ रत्न है जो अपनी शानदार प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है और एरियल रूट से आने वाले लोगों को घाटी के पैनोरमिक नजारे देखने को मिलेंगे.
प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी ने क्या कहा?
इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘वन और दूसरे संबंधित विभागों से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) अभी भी पेंडिंग हैं, लेकिन हमले के समय प्रोसेस को तेज करने की कोशिशें चल रही थीं.’
उन्होंने कहा, एक बार चालू होने के बाद, यह प्रोजेक्ट पहलगाम को साल भर चलने वाली टूरिस्ट डेस्टिनेशन में बदल देगा, जो न केवल गर्मियों के महीनों में और अमरनाथ यात्रा के लिए बल्कि सर्दियों में भी पर्यटकों को आकर्षित करेगा, जब यह शहर बर्फ की चादर से ढक जाता है.
अधिकारी और स्टेकहोल्डर्स इस प्रोजेक्ट को पहलगाम के लिए एक ‘गेम-चेंजर’ बता रहे हैं, क्योंकि इससे उत्तरी कश्मीर के मशहूर स्की-रिसॉर्ट गुलमर्ग में भीड़ कम होने की उम्मीद है, क्योंकि यह एडवेंचर टूरिस्ट को विंटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के लिए एक ऑप्शन देगा.

