
उड़ने वाले सांप असल में भी मौजूद हैं और जंगलों में कुछ खास प्रजातियाँ पेड़ से पेड़ तक हवा में छलांग लगाकर ग्लाइड करती हैं। यह उनकी जीवनशैली का हिस्सा ही नहीं बल्कि शिकार और सुरक्षा का तरीका भी है। इंसानों के लिए कभी-कभी यह नजारा डरावना हो सकता है, लेकिन विज्ञान के अनुसार यह एक रोचक अध्ययन का विषय है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, उड़ने वाले सांप Chrysopelea जीनस से संबंधित होते हैं। ये पतले पेड़ों पर रहते हैं और मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया के जंगलों में पाए जाते हैं, जैसे कि भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर। ये असल में हवा में उड़ते नहीं हैं बल्कि ग्लाइड करते हैं। पेड़ से छलांग लगाते समय ये अपने शरीर को चपटा कर लेते हैं, जिससे यह पैराशूट की तरह काम करता है। इस दौरान उनका शरीर हवा में “S” आकार बना लेता है और इस तकनीक को वैज्ञानिक Undulation कहते हैं। इस तरह वे संतुलन बनाए रखते हुए लंबी छलांग लगाते हैं।
मुख्य उड़ने वाले सांपों की प्रजातियाँ इस प्रकार हैं:
- गोल्डन ट्री स्नेक – भारत और श्रीलंका में पाया जाता है, सुनहरे रंग का, लंबाई लगभग 100 सेंटीमीटर।
- पैराडाइज ट्री स्नेक – मलेशिया, सिंगापुर और फिलीपींस में पाए जाते हैं।
- ट्विन-बार्ड ट्री स्नेक – मुख्य रूप से मलेशिया और सुमात्रा में, छोटी प्रजाति के सांप।
अधिकांश उड़ने वाले सांप हल्के जहरीले होते हैं और इंसानों के लिए गंभीर खतरा नहीं पैदा करते। ये मुख्य रूप से कीड़े, छोटे पक्षी, चमगादड़ और छिपकलियों का शिकार करते हैं। अगर इन्हें डराया जाए तो काट सकते हैं, लेकिन जहर का असर इंसानों पर गंभीर नहीं होता। रिसर्च के अनुसार, एक उड़ने वाला सांप लगभग 30 फीट ऊँचाई से छलांग लगाकर 60 फीट तक ग्लाइड कर सकता है।

