
हिमांशु गुप्ता की कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है। बचपन से ही वे अपने पिता की छोटी चाय की दुकान पर काम करते थे, जहां उन्होंने मेहनत और लगन से जीवन की कठिनाइयों का सामना किया। पढ़ाई के साथ-साथ परिवार की आर्थिक मदद करना उनके लिए चुनौती भरा था, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करते हुए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर और पेड ब्लॉग लिखकर अपने खर्चों का प्रबंध किया। ग्रेजुएशन के बाद जब उन्हें अच्छी नौकरी का अवसर मिला, तब भी उन्होंने देश सेवा के अपने जुनून को प्राथमिकता दी और यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहली बार आईआरटीएस सेवा में चयनित होने के बाद भी हिमांशु ने हार नहीं मानी और दोबारा परीक्षा देकर आईएएस अधिकारी बनने का लक्ष्य पूरा किया। उनकी कहानी यह साबित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर लगन और मेहनत साथ हो, तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।

