
गरीबी और सामाजिक बाधाओं के बावजूद, सी वनमती ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर आईएएस बनकर यह साबित कर दिया कि मेहनत और संकल्प से हर सपना पूरा किया जा सकता है। तमिलनाडु के इरोड जिले की रहने वाली वनमती का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, जहां उनके पिता कैब ड्राइवर थे और आमदनी सीमित थी। बावजूद इसके, उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं आने दी और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए।
छोटे से उम्र से वनमती पढ़ाई के साथ-साथ भैंस चराने और जानवरों की देखभाल में भी परिवार की मदद करती थीं। जहां उनके समाज में बेटियों को 12वीं के बाद आगे पढ़ाई की अनुमति नहीं मिलती थी, वहीं वनमती के मन में आत्मनिर्भर बनने और आगे बढ़ने की इच्छा हमेशा बनी रही।
12वीं के बाद शादी का दबाव बढ़ने लगा, लेकिन वनमती ने अपने परिवार के समर्थन से हिम्मत दिखाई और शादी से इनकार कर पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और इसी दौरान देश सेवा का सपना देखने लगीं।
उनके प्रेरणा स्रोत थे उनके गृहनगर की महिला जिला कलेक्टर और टीवी सीरियल ‘गंगा यमुना सरस्वती’, जिसमें आईएएस अफसर की भूमिका ने उन्हें सपने को सच करने की ताकत दी।
कड़ी मेहनत के दम पर, वनमती ने 2015 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 152वीं रैंक हासिल की। उनकी यह सफलता न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई जो गरीबी और सामाजिक बाधाओं के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।

