
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की 16 कलाएं और अमृत की वर्षा की मान्यता
धार्मिक विश्वासों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है, जिससे उसकी किरणें औषधीय गुणों से भर जाती हैं। इस समय चंद्रमा अपनी उच्चतम स्थिति पर होता है और माना जाता है कि उसकी किरणों से आकाश से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए शरद पूर्णिमा को ‘अमृत बरसने वाली रात’ भी कहा जाता है।
आसमान के नीचे खीर रखने की परंपरा
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखना एक प्राचीन परंपरा है। लोगों का विश्वास है कि चंद्रमा की किरणों से खीर में विशेष औषधीय गुण समा जाते हैं, जिससे यह खाने पर सेहत के लिए लाभकारी हो जाती है। इस खीर को सुबह खाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
शरद पूर्णिमा पर विज्ञान क्या कहता है?
विज्ञान की दृष्टि से, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिससे उसकी रोशनी अधिक तीव्रता से धरती तक पहुंचती है। साथ ही, इस समय का वातावरण साफ और ठंडा होता है, जो चंद्रमा की पराबैंगनी किरणों की ऊर्जा को नियंत्रित करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि दूध या खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने से उसकी रासायनिक संरचना में हल्का बदलाव आता है, जिससे वह पचाने में आसान और स्वास्थ्यवर्धक बन जाती है। इसलिए धार्मिक रूप से इस घटना को ‘अमृत की वर्षा’ का प्रतीक माना जाता है।