
डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा और इजरायल के बीच शांति स्थापित करने के लिए बफर जोन बनाने का एक नया प्रस्ताव पेश किया है। इस योजना में गाजा और इजरायल के बीच एक ऐसा क्षेत्र बनाया जाएगा, जहां कोई सैनिक या नागरिक प्रवेश नहीं कर सकेगा। ट्रंप के मुताबिक, कतर, पाकिस्तान और कई अन्य देशों ने इस प्रस्ताव पर सहमति दी है, और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इसका समर्थन किया है। हालांकि नेतन्याहू के हालिया बयान इस सहमति पर सवाल खड़े करते हैं।
ट्रंप की योजना के तहत, इजरायल धीरे-धीरे गाजा से अपनी सेनाओं को पीछे हटाएगा, जिससे बंधकों की रिहाई संभव होगी और स्थायी शांति का मार्ग खुलेगा। इस बफर जोन को नक्शे पर तीन रेखाओं — नीली, पीली और लाल — के जरिए दर्शाया गया है, जो सैनिकों की सीमाएं तय करती हैं। ट्रंप ने यह भी शर्त रखी है कि गाजा आतंकवाद मुक्त होगा, और यदि दोनों पक्ष सहमत हुए, तो युद्ध तुरंत समाप्त हो जाएगा। इसके बाद इजरायल 250 आजीवन कैदियों और 1700 अन्य गाजा निवासियों को रिहा करेगा।
भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलओसी) पर भी बफर जोन और पेट्रोलिंग सिस्टम लागू है। 2020 में गलवान घाटी में हुई टकराव के बाद दोनों देशों ने सीमा पर सैन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कई समझौते किए। इन समझौतों के तहत, पूर्वी लद्दाख में विवादित इलाकों में सैनिकों को सीमित क्षेत्र में तैनात किया गया है, जिससे तनाव को कम करने में मदद मिलती है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा है कि बफर जोन और पेट्रोलिंग व्यवस्था से दोनों पक्ष अपने सैनिकों और क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
वहीं, भारत-पाकिस्तान सीमा पर फिलहाल बफर जोन जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि, नियंत्रण और निगरानी के लिए सीमा पर पेट्रोलिंग, चौकियां और रणनीतिक इंतजाम मौजूद हैं। खासकर जम्मू-कश्मीर और अन्य सीमा इलाकों में यह पेट्रोलिंग सक्रिय रूप से की जाती है। दोनों देशों के बीच एलओसी पर निगरानी बढ़ाने और संघर्ष को रोकने के लिए समय-समय पर समझौते भी किए जाते रहे हैं।