
Trump Tariffs on Pharmaceuticals: ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ से भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर मंडराया खतरा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अहम कदम उठाते हुए सभी ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह फैसला तब तक लागू रहेगा, जब तक दवा कंपनियां अमेरिका के भीतर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित नहीं करतीं। यह निर्णय ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट, 1962 की धारा 232 के तहत लिया गया है, जो राष्ट्रपति को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर टैरिफ बढ़ाने की शक्ति देता है।
कानूनी चुनौती भी जारी है
हालांकि, इस टैरिफ के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी चल रही है। इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट में ट्रंप के अधिकार को चुनौती दी गई है। अगर कोर्ट ट्रंप के खिलाफ फैसला देता है, तो अमेरिका को यह टैरिफ वापस लेने पड़ सकते हैं।
भारतीय फार्मा इंडस्ट्री पर संभावित असर
भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा फार्मास्युटिकल निर्यात बाजार है, जहां से कुल दवा निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा आता है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को 10.5 अरब डॉलर की दवाओं का निर्यात किया, जिनमें मुख्य रूप से सस्ती जेनेरिक दवाएं शामिल थीं।
ट्रंप का यह टैरिफ फिलहाल केवल ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं पर लागू है, जिससे भारतीय जेनेरिक दवाओं पर तत्काल प्रभाव की आशंका कम है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति ने बाजार में अनिश्चितता पैदा कर दी है, जिससे निवेशकों का विश्वास प्रभावित हो सकता है।
किन भारतीय कंपनियों पर असर संभव?
- Zydus Life: कुल राजस्व का 49% अमेरिका से
- Dr. Reddy’s Labs: करीब 47% आय अमेरिकी बाजार से
- Aurobindo Pharma: 44% से अधिक रेवेन्यू अमेरिका से आता है
ट्रंप की नीति से सीधे तौर पर इन कंपनियों पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर अगर भविष्य में जेनेरिक दवाएं भी टैरिफ के दायरे में लाई जाती हैं। इस घोषणा के बाद फार्मा सेक्टर के शेयरों में गुरुवार को करीब 4% की गिरावट दर्ज की गई, और अधिकतर स्टॉक्स रेड ज़ोन में आ गए।
निवेशकों को अब सतर्क रहना होगा
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला भले ही अभी केवल ब्रांडेड दवाओं तक सीमित हो, लेकिन इससे संकेत मिलता है कि ट्रंप प्रशासन की व्यापार नीति और कड़े फैसले आगे और दबाव बना सकते हैं। अब निवेशकों को अमेरिकी व्यापार नीतियों पर पैनी नज़र रखनी होगी, क्योंकि ज़रा सी भी नीति-परिवर्तन भारतीय फार्मा इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।