दिल्ली समाचार: कुत्तों के माइक्रोचिपिंग से रेबीज का नियंत्रण और आबादी प्रबंधन मजबूत होगा। पेट शॉप के पंजीकरण को अनिवार्य बनाया जाएगा। साथ ही, विशेष मॉनिटरिंग समिति की स्थापना की जाएगी।

दिल्ली में आवारा कुत्तों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अब दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्तों को चिप के माध्यम से पहचान किया जाएगा। इस प्रक्रिया के माध्यम से रेबीज कंट्रोल प्लान जल्द ही शुरू किया जाएगा। कुत्तों को माइक्रोचिपिंग करके रेबीज कंट्रोल और पॉपुलेशन मैनेजमेंट मजबूत होगा। पेट शॉप्स का पंजीकरण अनिवार्य होगा और एक विशेष मॉनिटरिंग कमेटी की स्थापना की जाएगी।
जानवर बाजार की निगरानी समिति का गठन होगा।
हर जिले में पशु कल्याण समितियां बनेंगी तथा शिक्षा विभाग के साथ मिलकर जागरूकता की जाएगी। पशु बाजारों की निगरानी हेतु एनिमल मार्केट मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया जाएगा।
कुत्तों को खाना खिलाने के लिए जगहें बनाई जाएंगी।
सत्या शर्मा, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति की अध्यक्ष, ने मंगलवार (9 सितंबर) को अधिकारियों को निर्देश दिया कि हर वार्ड में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए स्थान बनाए जाएं। सत्या ने बताया कि स्थानीय निगम पार्षदों के साथ मिलकर प्रत्येक वार्ड में तीन से चार स्थानों की पहचान की जाएगी, जहां कुत्तों के लिए खाने की जगह बनाई जाएगी।
‘एक हफ्ते में रिपोर्ट पेश करें’
अधिकारियों को इस कदम पर एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया था। सत्या ने जोर देकर कहा कि एमसीडी शहर भर के पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) केंद्रों पर नसबंदी और टीकाकरण अभियान को तेज कर रही हैं।
एक उप-समिति आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने और रेबीज जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए संबंधित रणनीतियों पर काम कर रही हैं। सत्या शर्मा ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों द्वारा अनियंत्रित रूप से कुत्तों को खाना खिलाने से अक्सर झुंड बन जाते हैं, जिससे संघर्ष होता है और कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि होती है।
यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमसीडी से कुत्तों के काटने की समस्या पर लगाम लगाने के लिए तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह करने के बाद उठाया गया। सत्या शर्मा ने सभी पार्षदों, निवासियों और स्वयंसेवी संगठनों से इस पहल में सहयोग करने की अपील की.