भारत यूरोपीय संघ से मुक्त व्यापार समझौते पर कदम उठाने की योजना बना रहा है। यह निर्णय अमेरिकी ऊंचे टैरिफ के दबाव के समय पर लिया जा रहा है। साथ ही, व्हाइट हाउस ने यूरोपीय संघ पर दबाव डाला है कि वे भारत पर रूस से तेल आयात के लिए अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाएं।

भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच एफटीए पर चर्चा हो रही है. अब अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत के अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिसमें रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति शामिल है. इसके कारण कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इस उच्च शुल्क के कारण, भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है। इससे भारत के निर्यातकों को वियतनाम, बांग्लादेश और पाकिस्तान के निर्यातकों के साथ प्रतिस्पर्धा में और ज्यादा मुश्किलाएं आ सकती हैं।
भारत-EU फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
भारत और यूरोपीय संघ के बीच महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौतों की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। सभी विवादों को सुलझाने के लिए अगले महीने दो महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जा रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक, यूरोपीय अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली आने वाला है, जहां वे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जैसे कि बाजार एक्सेस, कृषि उत्पादों पर सीमा शुल्क, और खासकर शराब और डेयरी के मुद्दे। यह सभी कदम ऐसे समय पर उठाए जा रहे हैं, जब भारत पर अमेरिकी उच्च राशि का कर दबाव है और व्हाइट हाउस यूरोपीय संघ को तेल आपूर्ति के लिए रूस के साथ समझौतों के समर्थन में सीमा शुल्क लगाने के लिए दबाव बना रहा है।
नए बाजार पर नई दिल्ली की नजर
वास्तव में, इस वर्ष के अंत तक दोनों पक्षों का यह उद्देश्य है कि वार्ता को समाप्त कर दिया जाए। ट्रंप टैरिफ के प्रभाव के कारण, नई दिल्ली नए बाजार की खोज में है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच बड़े व्यापारिक साझेदारी है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने 2023-24 में लगभग 135 अरब डॉलर के आंकड़े को प्राप्त कर लिया है।
माना जा रहा है कि यूरोपीय संघ अपने नए दृष्टिकोण की योजना 17 सितंबर को पेश करेगा। इसका औपचारिक ऐलान अगले महीने की शुरुआत में होने जा रहे सम्मेलन में किया जा सकता है।