
जिन बच्चों को हर काम में आना-कानी की आदत होती है, उन पेरेंटिंग के लिए वास्तविक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो उनके व्यवहार और संबंधों में समस्याएं बढ़ा सकती हैं। इसके कारण और समाधान के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें।जिसमें बच्चे हर काम को नाक-कान करते हैं, उनके माता-पिता इस समस्या से जूझते हैं। चाहे वो पढ़ाई हो, खेल-कूद हो या घर के छोटे-मोटे काम, बच्चे अक्सर किसी भी बात पर ध्यान नहीं देते। यह आदत शुरुआत में सामान्य लग सकती है, लेकिन यदि ऐसा व्यवहार लगातार बना रहे तो इससे बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बच्चे हर चीज में क्यों करते हैं आना-कानी?
- उन्हें काम में रुचि न होना
- मोटिवेशन की कमी
- माता-पिता का ओवर-प्रोटेक्टिव रवैया
- स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल और टीवी की लत
- आत्मविश्वास की कमी
- अगर माता-पिता समय रहते इस आदत को नहीं सुधारते तो आगे चलकर parenting challenges और भी बढ़ सकते हैं
भविष्य में हो सकती हैं परेशानियां?
- बच्चे हर काम को लेकर ना-नुकुर करते रहते हैं, तो इसके कई नकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं
- पढ़ाई में लगातार गिरावट
- नए माहौल या लोगों से घुलने-मिलने में कठिनाई
- करियर बनाने में दिक्कत
- माता-पिता और बच्चे के रिश्तों में खटास
माता-पिता क्या कर सकते हैं?
- पॉजिीटिव मोटिवेशन दें – बच्चों की छोटी-छोटी उपलब्धियों की तारीफ करें
- रूटीन बनाएं – रोज़ का टाइम-टेबल तय करें और बच्चों को उसी के अनुसार काम करने के लिए प्रोत्साहित करें
- स्क्रीन टाइम कम करें – मोबाइल और टीवी से दूरी बनवाकर उन्हें आउटडोर एक्टिविटीज़ में शामिल करें
- खुद उदाहरण बनें – अगर माता-पिता मेहनती और ज़िम्मेदार नजर आएंगे तो बच्चे भी वैसा ही करेंगे
- काउंसलिंग लें – अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से सलाह लेना भी उपयोगी हो सकता है
- इन तरीकों से माता-पिता भविष्य की कई parenting problems से बच सकते हैं
बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी कदम
हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चे सफल, स्वावलंबी और खुशहाल जीवन जीते। इसके लिए जरूरी है कि उनकी छोटी-छोटी आदतों पर ध्यान दिया जाए। धैर्य और समझदारी से संभालना ही सही रास्ता होता है।
अगर आपका बच्चा हर काम में आना-कानी करता है तो इसे नजरअंदाज न करें। यह आदत धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास और सफलता की राह में बाधा बन सकती है। माता-पिता को चाहिए कि वे समय रहते सही तरीके से अपनाएं, ताकि बच्चे आगे चलकर आत्मविश्वासी, जिम्मेदार और सफल इंसान बन सकें।