No menu items!
Tuesday, October 14, 2025
spot_img

Latest Posts

GST परिषद में टकराव के आसार: 8 राज्यों ने उठाए सरकार के रिफॉर्म पर सवाल

GST 2.0: जीएसटी काउंसिल की बैठक में सरकार के प्रस्तावों को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है जो जीएसटी रिफॉर्म्स को लेकर हैं। इस दौरान विपक्ष के आठ राज्य भी अपनी एक विशेष मांग पेश करने के लिए हैं।

GST 2.0: जीएसटी परिवर्तन के संबंध में सरकार के प्रस्तावों पर निर्णय लेने के लिए जीएसटी परिषद की 3-4 सितंबर को बैठक होगी। इसके बाद देश की जनता में काफी उम्मीदें हैं। हालांकि, विपक्ष के 8 ऐसे राज्य हैं जिन्हें इस प्रस्ताव के साथ अपनी मांग रखने की अनुमति है। विपक्ष पार्टियों के अनुसार, इन आठ राज्यों को गुड्स और सर्विस टैक्स (जीएसटी) में स्लैब को पुनः व्यवस्थित करने से सालाना लगभग 1.5 लाख करोड़ से 2 लाख करोड़ रुपये तक का राजस्व का नुकसान होगा। केंद्र इस नुकसान की भरपाई करते हुए पांच साल तक मुआवजा देगा।

इन 8 राज्यों के बारे में यह कहना है।

शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना के मंत्रियों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल सरकार के भी एक प्रतिनिधि ने टैक्स में कटौती के बाद मुनाफाखोरी से बचने के लिए एक ऐसे मैकेनिज्म को बनाए जाने की मांग की है, जिससे व्यवसायों को लाभ मिलना सुनिश्चित हो ताकि आम आदमी को फायदा मिल सके. राज्यों ने सुझाव दिया है कि मौजूदा टैक्स स्लैब से मिलने वाले रेवेन्यू को बनाए रखने के लिए लग्जरी और सिन गुड्स पर 40 परसेंट के अलावा भी अतिरिक्त शुल्क लगाया जाए. इससे मिलने वाली आय का एक हिस्सा राज्यों के बीच वितरित किया जाए ताकि उन्हें होने वाले रेवेन्यू नुकसान की भरपाई हो सके. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इन सभी राज्यों ने अपना प्रस्ताव पेश करने का फैसला लिया है.

रेवेन्यू में नुकसान से राजकोषीय ढांचे में अस्थिरता 

केंद्र ने दरों को युक्तिसंगत बनाने से होने वाले राजस्व नुकसान का अनुमान नहीं लगाया है. हालांकि, कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने कहा कि प्रत्येक राज्य को अपने मौजूदा जीएसटी रेवेन्यू में 15-20 परसेंट तक नुकसान होने का अनुमान है. उन्होंने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि दरों में कटौती के बाद टैक्स रेवेन्यू में उछाल आएगा. गौड़ा ने कहा, “जीएसटी रेवेन्यू में 20 परसेंट की कमी देश भर में राज्य सरकारों के राजकोषीय ढांचे को गंभीर रूप से अस्थिर कर देगी.” उन्होंने आगे कहा कि राज्यों को 5 साल के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए, जिसे रेवेन्यू स्थिर होने तक आगे बढ़ाया जा सकता है. 

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा की भी यही डिमांड है कि मुनाफाखोरी का पता लगाने के लिए एक मैकेनिज्म बनाया जाना चाहिए ताकि दरों को युक्तिसंगत बनाने का लाभ आम आदमी तक पहुंच सके. इन राज्यों ने राजस्व संरक्षण की गणना के लिए आधार वर्ष 2024-25 तय किए जाने की भी मांग है.

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.