Thursday, August 21, 2025
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प्राइवेट इंस्टिट्यूशन में भी रिजर्वेशन की मांग हो रही है, जानिए इंस्टिट्यूशन ऑफ इमीनेंस में कितना कोटा है।

संसद की शिक्षा संबंधी स्थायी समिति ने सुझाव दिया है कि प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में भी SC, ST और OBC छात्रों को आरक्षण प्रदान किया जाए।आरक्षण सिर्फ सरकारी संस्थानों तक ही सीमित क्यों रहे? यही सवाल अब संसद की शिक्षा संबंधी स्थायी समिति ने उठाया है। दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली इस समिति ने संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की और साफ कहा कि प्राइवेट हायर एजुकेशन इंस्टीटूट्स में भी अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों के लिए आरक्षण जरूरी होना चाहिए। समिति ने सुझाव दिया है कि संसद एक ऐसा कानून बनाए, जिसके तहत निजी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में SC छात्रों के लिए 15%, ST छात्रों के लिए 7.5% और OBC छात्रों के लिए 27% आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके.

संविधान में है प्रावधान, लेकिन लागू नहीं हुआ

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि संविधान की धारा 15(5) जिसे 2006 में मनमोहन सिंह सरकार ने 93वें संशोधन के जरिए जोड़ा था, सरकार को यह अधिकार देता है कि वह निजी उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण लागू कर सके। 2014 में प्रमति एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी धारा 15(5) को वैध ठहराया था। अर्थात, कानूनी रूप से निजी संस्थानों में आरक्षण लागू करने का मार्ग पहले से ही खुला है। हालांकि, अब तक संसद ने ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया है जो निजी उच्च शिक्षा संस्थानों को SC, ST और OBC छात्रों के लिए आरक्षण देने के लिए बाध्य करे।

निजी संस्थानों में बेहद कम प्रतिनिधित्व

समिति ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि देश के शीर्ष निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षित समुदायों का प्रतिनिधित्व बेहद कम है। आंकड़ों के अनुसार, एससी छात्रों की संख्या 1% से भी कम है। एसटी छात्रों की उपस्थिति करीब आधे प्रतिशत है। जबकि ओबीसी छात्रों का हिस्सा लगभग 11% तक ही सीमित है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल प्राइवेट उच्च शिक्षा संस्थान रिसर्च, टेक्नोलॉजी और इंटरनेशनल सहयोग के क्षेत्र में अग्रणी हैं। यहां पढ़ाई करने से छात्रों को बेहतर अवसर मिलते हैं। हालांकि, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्र इन संस्थानों तक पहुंच नहीं पाते। इसका मुख्य कारण है उच्च शुल्क और आरक्षण की कमी। अगर प्राइवेट संस्थानों में आरक्षण को लागू किया जाता है, तो SC, ST और OBC छात्रों को न केवल प्रवेश मिलेगा, बल्कि उन्हें समान अवसर भी मिलेंगे।

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