गलत रक्त समूह के साथ रक्त प्रवाहित करने से शरीर में तेज प्रतिक्रिया होती है, जिससे अंग विफल हो सकते हैं और जान को खतरा भी हो सकता है

गलत रक्त समूह के प्रभाव: इंसान का रक्त उसके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण धड़कन है। लेकिन अगर वही रक्त किसी अन्य व्यक्ति का हो और वह आपके शरीर से मेल न खाए, तो क्या हो सकता है। जब किसी रोगी को रक्त की जरूरत होती है, तो डॉक्टर उसकी स्थिति को स्थिर रखने के लिए ट्रांसफ्यूजन यानी रक्त चढ़ाने की प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। यह प्रक्रिया सुनने में सामान्य लग सकती है, लेकिन यह उतनी ही संवेदनशील होती है, विशेषकर जब रोगी को उसका मेल न खाने वाल रक्त समूह चढ़ा दिया जाता है
डॉ. मोहित चौधरी व्यक्ति को बताते हैं कि, जब किसी व्यक्ति को उसके रक्त समूह से मेल नहीं खाते खून के साथ बहुत अधिक खून मिला दिया जाता है, तो उसे शरीर विदेशी हमला समझ लेता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में Acute Hemolytic Transfusion Reaction (AHTR) कहा जाता है। इसमें शरीर नए रक्त को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है, जिससे रक्त की कोशिकाएं टूटने लगती हैं और शरीर के अंगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है
कौन-कौन से लक्षण जल्दी दिखते हैं?
- सीने या कमर में अचानक दर्द
- कंपकंपी तेज और बुखार
- सांस लेने में परेशानी
- रक्तचाप का गिरना
- पेशाब का रंग लाल या गहरा होना
- शरीर में सूजन या एलर्जी जैसे लक्षण
ऐसी गलती क्यों होती है ?
आमतौर पर अस्पतालों और ब्लड बैंकों में रक्त चढ़ाने से पहले ब्लड टाइपिंग जैसी आवश्यक प्रक्रियाएं की जाती हैं। हालांकि, यदि लापरवाही हो जाए, लेबलिंग में गलती हो या आपात स्थिति में बिना जांच के रक्त चढ़ा दिया जाए, तो यह गंभीर और जानलेवा साबित हो सकता है
इस खतरे से कैसे बचे ?
- ब्लड टेस्ट की सटीक रिपोर्टिंग: रक्त चढ़ाने से पहले मरीज के रक्त समूह की पुष्टि अवश्य करें।
- क्रॉस-मैचिंग अनिवार्य है: रक्त चढ़ाने से पहले डोनर और मरीज के खून को मिलाकर उनकी संगतता की जांच करना आवश्यक होता है।
- सतर्कता आवश्यक है: मरीज के परिजनों को यह जानकारी अवश्य होनी चाहिए कि मरीज को कौन सा रक्त समूह चढ़ाया जा रहा है।
गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ना किसी छोटी लापरवाही का बहुत बड़ा परिणाम हो सकता है। इस स्थिति में कुछ ही मिनटों में शरीर के अंदर अराजकता पैदा हो सकती है और अगर समय रहते उपचार नहीं मिलता है तो जान को खतरा हो सकता है। ऐसे में खून चढ़ाने की प्रक्रिया को कभी भी हल्के में न लेना चाहिए