दोस्ती का सच्चाई, मजबूती और दीर्घायुति के साथ चलने वाले मित्रों की कमी महसूस हो रही है। यदि आप भी ऐसा महसूस कर रहे हैं, तो चाणक्य के इन वचनों को गंभीरता से लें। आपकी दोस्ती आखिरी सांस तक निभेगी।

दोस्ती भावनाओं में बंधा संसार का सबसे सुंदर रिश्ता है। यह ऐसा रिश्ता है जो रक्त से भी ऊपर होकर कभी-कभी अपनों से भी अधिक जुड़ाव वाला बन जाता है। दोस्ती विश्वास, समझ, सम्मान और साथ का नाम है। इस रिश्ते में कोई शर्त और स्वार्थ नहीं होता है.
दोस्ती के इस प्रिय रिश्ते को मानने के लिए हर साल अगस्त महीने के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे या मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। दोस्ती जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, आज के समय में कृष्ण सुदामा जैसी अद्वितीय दोस्ती को देखना मुश्किल होता है। चाणक्य के नीतियों का पालन करें तो आपकी दोस्ती जीवनभर चमकती रहेगी।
आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है, एक महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और चिंतक थे। राजनीति और प्रशासन से लेकर चाणक्य ने रिश्तों को लेकर भी गहरी बातें बताई हैं। आइये जानते हैं दोस्ती (Dost) को लेकर चाणक्य क्या कहते हैं।
ऐसे मित्रों के साथ ही जीवन भर की दोस्ती बनाए रखनी चाहिए। (दोस्ती के लिए चाणक्य नीति)
सच्चे दोस्त को पहचानना – असली दोस्त की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है पहले उसे अपने दोस्त बनाने से। ऐसे दोस्त चुनें जो सिर्फ आपके सुख के समय नहीं, बल्कि आपके दुःख और मुश्किल समय में आपके साथ होंगे। जिनके साथ आप हंसने के लिए खुश हो सकें और जिनके सामने आप अपने दुःख को बयां कर कर रो सकें।
दूरी बनाएं ऐसे दोस्तों से – स्वार्थी दोस्तों से दूर रहने का सुझाव दिया जाता है। उन लोगों से बचें जो सिर्फ अपने फायदे के लिए आपके साथ दोस्ती करते हैं और आपके साथ काम करते हैं। इस तरह के दोस्तों पर भरोसा करना उचित नहीं होता क्योंकि उनकी दोस्ती दुर्भाग्यपूर्ण होती है और लंबे समय तक नहीं चल पाती। इसलिए इस प्रकार के स्वार्थी दोस्तों से दूर रहना ही बेहतर है।
बुरे समय में जो एक ढाल बन जाए – सच्चे और अच्छे दोस्त की परीक्षा हमेशा कठिन समय में ही होती है। जो दोस्त बुरे समय में आपके साथ ढाल की तरह खड़े रहे, उनका साथ कभी न छोड़ें। क्योंकि कठिन समय में भी जो आपके साथ खड़ा है वही आपका सबसे अच्छा दोस्त बन सकता है।