भाद्रपद माह में जन्माष्टमी नामक पर्व श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय त्योहार है, इसी के साथ हर साल लोग दही हांडी का भी बेसब्री से इंतजार करते हैं। दही हांडी कान्हा की बाल लीलाओं का प्रतीक माना जाता है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है

इस साल दही हांडी 16 अगस्त 2025 को होगी। जन्माष्टमी का त्योहार 15 अगस्त को मनाया जाएगा। यह त्योहार द्वापर युग से कलियुग तक धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसकी विशेषता यह है कि हर साल इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है
दही खांडी श्रीकृष्ण से जुड़ा मुख्य पर्व है, जिसे गोपाल कला या उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस अवसर पर, गोविंदाओं की टोली ऊँचाई पर बंधी हुई दही से भरी मटकी को तोड़ने की कोशिश करती है
यहां युवक और युवतियों की एक पिरामिड बनती है और फिर उन्हें दही तक पहुंचने का प्रयास किया जाता है। दही मिट्टी के बर्तन पर ऊंची जगह पर टांगा जाता है, जिसे हांडी कहा जाता है। दही हांडी उत्सव के दौरान, कृष्ण के भजन गाए जाते हैं और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण छोटी उम्र में लोगों के घरों से माखन मिश्री की चोरी किया करते थे और अपने मित्रों में वितरण कर खाते थे। गोपियां प्रभु की लीला से परेशान हो गईं थीं और उन्होंने माखन की मटकी को ऊंचे स्थान पर लटकाने की कोशिश की, लेकिन उनका प्रयास असफल रहा।
भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा के साथ पिरामि़ड बनाकर हांडियों से मक्खन और दही चुराकर खाते थे। कान्हा इस बाल लीला को हर साल जन्माष्टमी के दौरान दहीं हांडी के उत्सव के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाते है
महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन और गोकुल में भी दही हांडी की धूम देखने लायक होती है। इन जगहों पर यह पर्व बेहद उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है