Saturday, June 28, 2025
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वित्त वर्ष 2026 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान : क्रिसिल

नई दिल्ली । क्रिसिल ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2026 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। साथ ही, रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि घरेलू खपत में सुधार से औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की संभावना है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा, “हमें उम्मीद है कि घरेलू खपत को लेकर मांग में सुधार होगा। यह सुधार स्वस्थ कृषि वृद्धि, विवेकाधीन खर्च को बढ़ावा देने वाली महंगाई में कमी, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दरों में कटौती और इस वित्त वर्ष में आयकर में राहत की वजह से देखा जाएगा।”
भारत मौसम विज्ञान विभाग को इस वित्त वर्ष में सामान्य से अधिक मानसून रहने की उम्मीद है, जो कृषि उत्पादन और मुद्रास्फीति के लिए अच्छा संकेत है।
इसके अलावा, क्रिसिल इंटेलिजेंस के अनुसार, इस वित्त वर्ष में कच्चे तेल की कीमतें कम रहने की उम्मीद है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में औसतन 78.8 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में औसतन 65-70 डॉलर प्रति बैरल रहेंगी।
नोट के अनुसार, “हमें उम्मीद है कि एमपीसी अप्रैल तक 50 आधार अंकों की कटौती के बाद इस वित्त वर्ष में रेपो दर में 50 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती करेगी। बैंक ऋण दरों में कमी आनी शुरू हो गई है, जिससे घरेलू मांग को बढ़ावा मिलना चाहिए।”
कुल मिलाकर, क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जिसमें बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण गिरावट का जोखिम है।
अमेरिका के महत्वपूर्ण टैरिफ घोषणाओं के महीने अप्रैल में आईआईपी वृद्धि धीमी रही।
कुछ निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों (फार्मास्यूटिकल्स और रसायन सहित) में उत्पादन धीमा रहा, जबकि फ्रंट-लोडिंग निर्यात से अन्य क्षेत्रों जैसे मशीनरी और रेडीमेड गारमेंट को लाभ हुआ।
औद्योगिक वस्तुओं ने मिश्रित प्रदर्शन दर्ज किया, जिसमें पूंजीगत वस्तुओं में उत्पादन वृद्धि में तेजी आई, जबकि मध्यवर्ती वस्तुओं में मामूली तेजी आई।
अप्रैल में निर्यातोन्मुखी क्षेत्रों का प्रदर्शन मिलाजुला रहा, हालांकि व्यापारिक निर्यात में जोरदार सुधार दर्ज हुआ।
सांख्यिकी मंत्रालय से जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामान, रेफ्रिजरेटर और टीवी जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल वस्तुओं के उत्पादन में भी 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो बढ़ती आय के बीच इन वस्तुओं की उच्च उपभोक्ता मांग को दर्शाता है।
राजमार्गों, रेलवे और बंदरगाहों के क्षेत्रों में लागू की जा रही बड़ी सरकारी परियोजनाओं के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

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